बड़ा खुलासा: सरकारी डोमेन नेम, राज चिन्ह का प्रयोग फिर भी सरकारी नहीं?

Update: 2020-06-01 15:29 GMT

एक आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड सरकारी प्राधिकार नहीं है (इसलिए वह आरटीआई के तहत सवालों के जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है)। सुबह आपने पढ़ा कि वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के वेबसाइट पर उसके विज्ञापन हैं। अब द वायर के संपादक ने अपने किसी मित्र की टिप्पणी ट्वीट की है जो अपनी पहचान नहीं बताना चाहते हैं। इसके अनुसार पीएम केयर्स के वेबसाइट का डोमेन नेम http://pmcares.gov.in में नाम के अलावा बाकी का हिस्सा भारत सरकार के विभागों के लिए है और सरकारी है। अब किसी गैर सरकारी प्राधिकार का डोमेन नेम सरकारी कैसे हो सकता है?

होने को क्या नहीं हो सकता है वह भी तब प्रधानमंत्री का नारा ही था नामुमकिन मुमकिन है। खास बात यह है कि पीएम केयर्स के सरकारी संबंध (वैध या अवैध) यहीं खत्म नहीं होते हैं। प्रधानमंत्री के आधिकारिक वेबसाइट पर इसका प्रचार है उसमें उनकी फोटो है - ये सब पुरानी बातें हो गईं। Sachin Kumar Jain ने याद दिलाया इसके नाम और लोगों में भारत के राष्ट्रीय चिन्ह — अशोक स्तम्भ का उपयोग किया गया है। कहने की जरूरत नहीं है कि भारत के राज्य प्रतीक (अनुचित प्रयोग का निषेध) अधिनियम, 2005 के अंतर्गत इसका प्रयोग विनियमित और प्रतिबंधित है।

विकीपीडिया के अनुसार, आधिकारिक पत्राचार के लिए किसी व्यक्ति या निजी संगठन को प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री व्यक्ति भी नहीं है। प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री अगर सरकारी डोमेन नेम और राज चिन्ह का प्रयोग कर रहे हैं तो गलत नहीं ही होंगे और उपयोग को सरकारी माना जाना चाहिए। बेशक जब प्रधानमंत्री सर्वे सर्वा हैं तो अनुमति का क्या है और अनुमति का प्रावधान तो है ही। पर तब पीएम केयर्स सरकारी तो हो ही जाएगा। देखा जाए।

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