किसानों और सरकार के बीच आज की बैठक भी बेनतीजा, 9 दिसंबर को फिर बैठक, कृषि मंत्री ने की ये अपील

किसान संगठनों ने बैठक में कहा कि हम सरकार से चर्चा नहीं, ठोस जवाब चाहते हैं वो भी लिखित में. अब तक बहुत चर्चा हो चुकी है.

Update: 2020-12-05 14:38 GMT

नई दिल्ली : कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है. शनिवार को 5वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही. आज की बैठक में सरकार ने किसानों से और वक्त मांगा. अब 9 दिसंबर को सुबह 11 बजे फिर सरकार और किसान नेताओं की बातचीत होगी.

कृषि मंत्री ने क्या कहा

बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि MSP जारी रहेगी। MSP पर किसी भी प्रकार का खतरा और इस पर शंका करना बेबुनियाद है अगर फिर भी किसी के मन में शंका है तो सरकार उसका समाधान करने के लिए पूरी तरह तैयार है. APMC राज्य का एक्ट है। राज्य की मंडी को किसी भी तरह से प्रभावित करने का न हमारा इरादा है और न ही कानूनी रूप से वो प्रभावित होती है। इसे और मज़बूत करने के लिए सरकार तैयार है। अगर इस बारे में किसी को कोई गलतफहमी है तो सरकार समाधान के लिए तैयार है.

कृषि मंत्री ने कहा हम लोग चाहते थे कि कुछ विषयों पर हमें स्पष्टता से सुझाव मिलें लेकिन बातचीत के दौर से ये संभव नहीं हो सका। कुछ सुझाव मिल जाते तो हमें रास्ता निकालना थोड़ा आसान हो जाता। अभी भी उसका इंतज़ार करेंगे. मेरा किसान यूनियन से आग्रह है कि सर्दी का सीज़न है कोविड का संकट है इसलिए जो बुज़ुर्ग लोग हैं और जो बच्चें हैं अगर उन्हें यूनियन के नेता घर भेज देंगे तो वे सुविधा से रह सकेंगे.

बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उनके अपने कार्यक्रम हैं मैं उनपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं सभी यूनियनों, किसान नेताओं से कहना चाहता हूं कि आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा के रास्ते पर आएं। भारत सरकार कई दौर की चर्चा कर चुकी है और समाधान के लिए आगे भी चर्चा करने को तैयार है.

किसानों ने क्या कहा 

बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे. हम (किसान) आपस में इस पर चर्चा करेंगे, जिसके बाद उसी दिन उनके साथ बैठक होगी. वहीं, किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि हम कानून रद्द करा कर ही मानेंगे. इससे कम पर हम मानने वाले नहीं हैं.

किसान सरकार से अब हां या ना में जवाब चाह रहे हैं. आज दिल्ली के विज्ञान भवन में पांचवें दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता शांत बैठ गए थे. और मंत्री आपस में बात करने के लिए बाहर चले गए थे. किसान नेता एक पन्ने पर हां या ना यानी यस या नो लिखकर बैठे थे. किसान संगठन के नेता बैठक में मंत्रियों के सामने यस या नो प्ले कार्ड लेकर बैठ गए.

किसान संगठनों ने सरकार से कहा कि हमारे पास एक साल की सामग्री है. सरकार को तय करना है वो क्या चाहती है. किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि आप बता दीजिए कि आप हमारी मांग पूरी करेंगे या नहीं.

वार्ता के दौरान किसान नेता सरकार से बेहद नाराज नजर आए. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी मांगों पर फैसला ले, नहीं तो हम बैठक से जा रहे हैं. किसानों संगठनों के नेताओं ने बैठक में कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान का हवाला दिया. किसान नेताओं ने कहा कि नए कृषि कानूनों पर कनाडा के प्रधानमंत्री और वहां की संसद चर्चा कर रही है, लेकिन हमारी सरकार हमारी बात को नहीं सुन रही.

किसान संगठनों ने बैठक में कहा कि हम सरकार से चर्चा नहीं, ठोस जवाब चाहते हैं वो भी लिखित में. अब तक बहुत चर्चा हो चुकी है. बैठक में सरकार ने कहा कि कानून रद्द करने के अलावा कोई और रास्ता निकाला जाए. सरकार की तरफ से संशोधन की बात रखी गई. वहीं, दूसरी तरफ किसान नेता कृषि कानून रद्द कराने पर अड़े रहे. सरकार ने संशोधन का प्रस्ताव दिया, जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया.

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