दुनिया की 100 शक्तिशाली महिलाओं में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

इस सूची में लगातार दसवें साल जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल शीर्ष पर हैं. कमला हैरिस इस सूची में तीसरे स्थान पर और निर्मला सीतारमण इस सूची में 41वें स्थान पर हैं.

Update: 2020-12-09 03:53 GMT

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अमेरिका की नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ और एचसीएल एंटरप्राइजेज की सीईओ रोशनी नडार मल्होत्रा दुनिया की सर्वाधिक 100 शक्तिशाली महिलाओं की फोर्ब्स की सूची में शुमार की गई हैं.

इस सूची में लगातार दसवें साल जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल शीर्ष पर हैं. कमला हैरिस इस सूची में तीसरे स्थान पर और निर्मला सीतारमण इस सूची में 41वें स्थान पर हैं. 17वीं वार्षिक 'फोर्ब्स पावर लिस्ट' में 30 देशों की महिलाएं शामिल हैं.

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक फोर्ब्स ने कहा, 'इसमें दस देशों की प्रमुख, 38 सीईओ और पांच मनोरंजन क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं हैं. भले ही वे उम्र, राष्ट्रीयता और अलग-अलग पेशे से हों लेकिन 2020 की चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्होंने अपने मंचों का इस्तेमाल एक तरीके से किया.'

सीतारमण सूची में 41वें स्थान पर हैं, रोशनी नडार मल्होत्रा 55वें स्थान पर हैं और किरण मजूमदार शॉ 68वें नंबर पर हैं. लैंडमार्क समूह की प्रमुख रेणुका जगतियानी को सूची में 98वां स्थान दिया गया है. मर्केल लगातार दसवें वर्ष पहले स्थान पर कायम हैं.

मर्केल क्यों टाॅप पर हैं?

फोर्ब्स ने कहा, 'मर्केल यूरोप की प्रमुख नेता हैं और जर्मनी को वित्तीय संकट से उबारकर क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का नेतृत्व कर रही हैं. डोनाल्ड ट्रंप का विरोध कर जर्मनी में दस लाख से अधिक शरणार्थियों को रहने अनुमति देने वाली मर्केल का नेतृत्व बेहद मजबूत रहा है. सबसे बड़ा सवाल है कि लोग अब पूछ रहे हैं कि मर्केल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनकी जगह कौन लेगा?'

कमला हैरिस तीसरे स्थान पर

अमेरिका की नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति हैरिस पहली अश्वेत महिला हैं जो इस पद पर पहुंची हैं और सूची में वह तीसरे स्थान पर हैं. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न सूची में दूसरे स्थान पर हैं जिन्होंने कड़े लॉकडाउन को लागू कर अपने देश को कोराना वायरस की पहली एवं दूसरी लहर से बचाया.

फोर्ब्स ने बताया कि ताईवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन 37वें स्थान पर हैं जिन्होंने जनवरी में कोरोना वायरस के मरीजों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने का कठिन कार्यक्रम लागू किया.

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