SriLanka Economic Crisis : संकट में श्रीलंका की फिर मदद को आगे आया भारत, 3.8 अरब डॉलर की दी आर्थिक मदद

भारत ने श्रीलंका को आर्थिक संकट से निपटने के लिए इस वर्ष 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता दी है।

Update: 2022-07-10 14:50 GMT

SriLanka Economic Crisis : कोलंबो में तेजी से हो रहे घटनाक्रम पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में भारत ने रविवार को कहा कि वह श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है क्योंकि वे लोकतांत्रिक तरीकों, मूल्यों और संवैधानिक मार्ग के जरिए समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत श्रीलंका के गतिविधि पर करीबी नजर रखे हुए है और वह उन कई चुनौतियों से अवगत है, जिनका देश और उसके लोग सामना कर रहे हैं।

श्रीलंका में राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने मध्य कोलंबो के कड़ी सुरक्षा वाले फोर्ट इलाके में राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में धावा बोल दिया था। इसके बाद राजपक्षे ने घोषणा की थी कि वह इस्तीफा दे देंगे। बागची ने कहा, "हम उन कई चुनौतियों से अवगत हैं जिनका श्रीलंका और उसके लोग सामना कर रहे हैं, और हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं क्योंकि उन्होंने इस कठिन दौर से उबरने की कोशिश की है।"

"हम श्रीलंका के लोगों के साथ है"

उन्होंने कहा, "भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है क्योंकि वे लोकतांत्रिक तरीकों, मूल्यों और संवैधानिक मार्ग के माध्यम से समृद्धि और प्रगति की आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं।" उन्होंने श्रीलंका को उसके गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने के लिए भारत की वित्तीय सहायता का भी जिक्र किया। बागची ने कहा, श्रीलंका हमारी 'पड़ोस पहले' की नीति में केंद्रीय स्थान पर है, इसलिए भारत ने उसे आर्थिक संकट से निपटने के लिए इस वर्ष 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता दी है।

बता दें, शनिवार दोपहर प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सरकारी आवास पर कब्जा कर लिया था। और राजपक्षे राष्ट्रपति भवन छोड़कर भाग गए थे। लेकिन रविवार को पता लगा है कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) किसी देश की सीमा में नहीं गए हैं। बल्कि वह समंदर में हैं और नेवी शिप से हालातों को मॉनीटर कर रहे हैं। वे 13 जुलाई को अपना इस्तीफा देंगे। इस्तीफे से पहले PM ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी। राष्ट्रपति भवन पर जनता के कब्जे के बाद दबाव बढ़ा तो प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी थी।

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