Kedarnath Jyotirlinga Story: पांडवों के इस पाप के बाद हिमालय में प्रकट हुए थे बाबा केदार, जानें ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी
Kedarnath Jyotirlinga Story: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है, जो उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थित है। चार धाम यात्रा में केदारनाथ धाम महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में इन दिनों केदारनाथ धाम चर्चा का विषय बना हुआ है।;
Kedarnath Jyotirlinga Story: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है, जो उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थित है। चार धाम यात्रा में केदारनाथ धाम महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में इन दिनों केदारनाथ धाम चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम मंदिर का एक प्रतीकात्मक मंदिर बनाए जाने के बारे में विचार किया जा रहा है, जिसका विरोध कई लोग कर रहे है। इस बीच हम आपको बताने वाले है कि केदारनाथ धाम में केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई थी और इसका महत्व क्या है?
बता दें कि बारह ज्योतिर्लिंगो में सर्वोच्च केदारनाथ धाम की अनोखी कहानी है। कहा जाता है कि केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। पुराणों के मुताबिक, केदार महिष अर्थात भैंसे का पिछला भाग है। यहां भगवान शिव भूमि में समा गए थे। जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तो इस युद्ध के रक्त संघार को देखकर भगवान शंकर पांडवों से रुष्ट हो गए थे। वहीं पांडव अपने भाईयों की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए शिव के दर्शन करना चाहते थे। अपने पाप का प्राश्चित करने के लिए पांडव कैलाश पर्वत पर महादेव के पास पहुंचे लेकिन शिव ने उन्हें दर्शन नहीं दिए और अंतधर्यान हो गए। पांडवों ने हार नहीं मानी और शिव की खोज में केदार पहुंच गए।
इस तरह हुई थी भगवान शिव की स्थापना
इसके बाद भगवान शंकर पांडवों की भक्ति और दृढ संकल्प देख कर प्रसन्न हो गए थे। उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को हत्या के पाप से मुक्त कर दिया। पांडवों ने भगवान से प्रार्थना की की वो इसी धड़ रूप में यहां रहे। शंकर भगवान ने तथास्तु कहा और केदार ज्योतिर्लिंग के रूप में हमेशा के लिए यहां विराजमान हो गए।