Lockdown: मजदूरों के पलायन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, कल तक दाखिल करनी होगी रिपोर्ट

सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने कहा हर सम्भव कदम केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से उठाये जा रहे हैं.

Update: 2020-03-30 08:18 GMT

नई दिल्ली : लॉक डाउन के दौरान बड़ी संख्या में शहरों से पैदल गांव लौट रहे मज़दूरों की स्थिति पर SC वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की. एक वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका में इन लोगों को भोजन और मेडिकल सुविधा मुहैया करवाए जाने की मांग की गई है. साथ ही, सबको तुरंत सरकारी इमारतों में आश्रय देने की मांग भी की गई है. कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये की गई. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े और नागेश्वर राव की बेंच अपने घर पर बने दफ्तर से सुनवाई की. वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने भी घर से जिरह की.

सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने कहा हर सम्भव कदम केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से उठाये जा रहे हैं. हम स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे. इस पर वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा, राज्यों में समन्वय की कमी है. यूपी सरकार ने दो दिन पहले यूपी बार्डर से लोगों को ले जाने के लिए बसें चलाई, फिर रोक दी. कोर्ट ने कहा, हमने नोटिस किया है. आपकी याचिका में जो बातें कह गई है, सरकार उन पर पहले से कदम उठा रही है. सरकार जो रिपोर्ट दाखिल करेगी, उसका इतंज़ार कीजिए.

वहीं सुप्रीम कोर्ट में दायर एक दुसरी याचिका में पलायन कर रहे लोगो के लिए सुरक्षा, भोजन, सेनेटाइजर जैसी व्यवस्था की मांग की गई है. कोर्ट ने उस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. दोनो पर एक साथ कल तक सरकार को जवाब देना है.

बता दें, कोरोना (Corona Virus) के कहर से न सिर्फ बड़े कारोबारी और बाजार-व्यवस्था प्रभावित हुआ है, बल्कि दिहाड़ी मजदूरी (Labour) करने वाले मजदूरों की रोजी-रोटी भी प्रभावित हुई है. राम बहादुर बिहार का रहने वाला एक दिहाड़ी मजदूर है और बीते पांच साल से वह देश की राजधानी (Delhi) और आसपास के इलाके में टेंट लगाने का काम करता है, लेकिन बीते कुछ दिनों से सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होने से उसे काम नहीं मिल रहा है. कोरोना के कहर से दुनियाभर में घबराहट के माहौल में लोगों के कामकाज पर गहरा असर पड़ा है. सांस्कृतिक समारोह से लेकर कारोबार व अन्य प्रकार के कार्यक्रम रद्द हो गए हैं. यह हालात सिर्फ दिल्ली में नहीं, बल्कि देश के अन्य इलाकों में भी है. यही वजह है कि है मजदूर अपने गांव की ओर रवाना हो रहे हैं. कोई वाहन न मिलने पर यह मजदूर अपने परिवार के साथ सैंकड़ों किलोमीटक के सफर पर रवाना हो रहे हैं. 

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