नितिन गडकरी ने उठाया शानदार कदम, नेशनल हाईवे परियोजनाओं पर आ गया बड़ा अपडेट, लोगों की बल्ले-बल्ले

राष्ट्रीय राजमार्ग 127 के 10 किलोमीटर लंबे एवं 247 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नगांव बाइपास- तेलियागांव खंड और इसी राजमार्ग के आठ किलोमीटर लंबे एवं 156 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित तेलियागांव-रंगगरा खंड को राष्ट्र को समर्पित भी किया.

Update: 2023-06-05 11:18 GMT

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने असम में दो राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखी. इसके साथ ही गडकरी ने असम में दो राष्ट्रीय राजमार्गों का उद्घाटन भी किया. इन चारों राजमार्ग परियोजनाओं की कुल लागत करीब 1,450 करोड़ रुपये है. गडकरी ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में राष्ट्रीय राजमार्ग 15 पर 535 करोड़ रुपये की लागत से चार लेन वाले मंगलदेई बाइपास बनाने और राष्ट्रीय राजमार्ग 29 पर 517 करोड़ रुपये की लागत से 13 किलोमीटर लंबे दबोका-परखुवा खंड के निर्माण की आधारशिला रखी.

नेशनल हाईवे

उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 127 के 10 किलोमीटर लंबे एवं 247 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नगांव बाइपास- तेलियागांव खंड और इसी राजमार्ग के आठ किलोमीटर लंबे एवं 156 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित तेलियागांव-रंगगरा खंड को राष्ट्र को समर्पित भी किया. इस अवसर पर गडकरी ने कहा कि असम वृद्धि और विकास की दिशा में बढ़ रहा है और राज्य सरकार ने भी इन परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण एवं पर्यावरण मंजूरियां देने में तेजी दिखाई है.

विकास

उन्होंने कहा कि यह असम समेत समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र में सड़कों एवं अन्य ढांचागत सुविधाओं के विकास के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के अनुरूप है. इसके अलावा गडकरी ने ग्रीन ऊर्जा सम्मेलन को संबोधित करते हुए भी कई अहम बातें बताई. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल नहीं कर भारत अपने प्रदूषण को 40 फीसदी से ज्यादा कम कर सकता है. गौरतलब है कि भारत हर साल 16 लाख करोड़ रुपये का कच्चा तेल आयात करता है.

जीवाश्म ईंधन

गडकरी ने ग्रीन ऊर्जा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ''हम पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग न करके 40 प्रतिशत प्रदूषण को कम कर सकते हैं. गडकरी ने स्वच्छ और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीक लाने के लिए आईआईटी जैसे संस्थानों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकी जरूरत पर आधारित होनी चाहिए, आर्थिक रूप से व्यवहार्य होनी चाहिए और इसके लिए कच्चा माल उपलब्ध होना चाहिए. (भाषा)

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