एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन की सूचना पर देह व्यापार में धकेली गई बच्ची को कराया मुक्त

Update: 2025-08-05 12:32 GMT

द्वारका पुलिस ने एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन की सूचना पर जबरन देह व्यापार के दलदल में धकेली गई 16 साल की एक नाबालिग बच्ची को मुक्त कराया। बच्ची ने बताया कि उसे तकरीबन साल भर पहले इस धंधे में धकेल दिया गया जहां उसे हर रात 8 से 10 ग्राहकों को खुश करना पड़ता था। पुलिस ने मामला दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार किया है और इस गिरोह में शामिल अन्य संदिग्धों के बारे में तहकीकात जारी है।

पीड़ित बच्ची ने बताया कि दर्द की शिकायत करने पर उसे दर्द निवारक गोलियां दी जाती थीं और फिर ग्राहकों के पास भेज दिया जाता था। इस काम के लिए उसे 500 रुपए दिए जाते थे लेकिन ये पैसे भी उसे कभी-कभार और मांगने पर ही मिलते थे। जब उसने खुद को छोड़ देने की विनती की तो ट्रैफिकिंग गिरोह के सदस्य उसे उसके रिकॉर्ड किए गए वीडियो दिखाकर धमकाते थे कि अगर उसने इस काम से मना करने या भागने की कोशिश की तो इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा।

पीड़ित बच्ची को उसकी एक सहेली ने बहला-फुसला कर इस धंधे में धकेला था। सहेली ने बच्ची से कहा था कि वह उसे किसी ऐसे आदमी से मिलवाएगी जो रुपए-पैसे की उसकी सभी समस्याएं चुटकियों में दूर कर देगा।

बच्ची ने बताया, “सहेली ने मुझे एक भईया से मिलवाया जिन्होंने मुझे ढेर सारे पैसे कमाने के सब्जबाग दिखाए। तब मुझे समझ में नहीं आया कि मुझे किस दलदल में धकेला जा रहा है। जैसे ही मुझे समझ में आया, मैंने इससे बाहर निकलने की कोशिश की। लेकिन उन लोगों ने चुपके से रिकॉर्ड किए गए वीडियो दिखाकर मुझे मुंह बंद रखने की धमकी दी।” बच्ची ने बताया कि उसकी मां की साल भर पहले मौत हो गई थी। वह अपने पिता के साथ रहती है जिन्हें शराब पीने की लत है। बच्ची से जब पूछा गया कि क्या उसके पिता इस बारे में कुछ जानते हैं तो उसने नहीं में सिर हिलाया। उसने कहा, “उन्हें कुछ नहीं पता। मैंने उन्हें बता रखा था कि मैं एक काल सेंटर में काम करती हूं जहां रात को ड्यूटी होती है।”

बच्ची ने बताया कि वह हर रोज शाम पांच बजे घर से निकलती थी और ग्राहकों के साथ रात बिताने के बाद सुबह 5-6 बजे लौटती थी। इस काम में उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती थी और उसे रोजाना पांच से दस ग्राहकों को खुश करना पड़ता था।

एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) के वरिष्ठ निदेशक मनीष शर्मा ने बताया, “हमारी टीम खुद को ग्राहक की तरह पेश करते हुए गिरोह तक पहुंची। हमें उनका भरोसा जीतने में एक महीने से भी ज्यादा का समय लगा। काफी सौदेबाजी के बाद हमने उसे ऑनलाइन पेमेंट किया लेकिन इसके बाद उसने तुरंत अपना ठिकाना बदल लिया। आखिर में उसने हमें द्वारका बुलाया। हमने तत्काल पश्चिमी द्वारका रेंज के डीसीपी अंकित कुमार सिंह को इस बाबत जानकारी दी। सिंह ने तुरंत अपनी टीम को सूचित किया और छापे की तैयारी की।” एवीए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है। जेआरसी के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठन देश के 418 जिलों में काम कर रहे हैं।

मनीष शर्मा ने बताया कि आरोपी ने आखिरी वक्त पर फिर अपना ठिकाना बदल लिया और उन्हें द्वारका के पास मोहन गार्डन के एक फ्लैट में बुलाया। डीसीपी ने मोहन गार्डन थाने की पुलिस से बात कर यह सुनिश्चित किया कि छापे में कोई अड़चन नहीं आए।

मौके पर पहुंचने पर हमारी टीम को वहां से शराब की खाली बोतलें, दर्द निवारक दवाइयां, कुछ एंटी बायोटिक और यौन संक्रमण के इलाज में काम आने वाली कुछ दवाइयां मिलीं। पुलिस ने इब्राहिम नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार किया है लेकिन उसका मानना है कि वह अकेला नहीं है बल्कि उसके पीछे एक पूरा गिरोह है।

इस त्वरित और समन्वित कार्रवाई के लिए आभार जताते हुए मनीष शर्मा ने कहा, “हमारी सूचना पर दिल्ली पुलिस ने जिस तत्परता से कार्रवाई की, वह सराहनीय है। लेकिन दिल्ली के मुहल्लों व कालोनियों में इस तरह के सेक्स रैकेट चलना चिंता की बात है। कोविड के पश्चात हमने बहुत से घरों या मसाज पार्लरों में सेक्स रैकेट चलते देखे हैं। हमारा मानना है कि अगर हम इन गिरोहों के पैसे के लेन-देन की छानबीन करें तो इन्हें प्रभावी तरीके से ध्वस्त किया जा सकता है। जहां इतनी बड़ी संख्या में ग्राहक ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर रहे हों तो इन गिरोहों के वित्तीय लेन-देन की छानबीन हमें शोषण की इस पूरी श्रृंखला से जुड़े तत्वों की शिनाख्त और उनकी धरपकड़ में मदद कर सकती है।”

ध्यान देने वाली बात यह है कि शोषण के शिकार ज्यादातर बच्चे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों के हैं। इन बच्चों को ट्रैफिकिंग के जरिए महानगरों मे लाया जाता है जहां उन्हें देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया जाता है।

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