हमारा देश नहीं रहा राज सिंहासन की बपौती, सिविल सेवकों से बोले PM मोदी

सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशन फर्स्ट की बात को दोहराया है।

Update: 2022-04-21 14:09 GMT

सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नेशन फर्स्ट की बात को दोहराया है। उन्होंने इस दौरान देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने की बात कही। मोदी ने कहा कि हमारे हर काम में कसौटी एक होनी चािहए। इंडिया फर्स्ट, नेशन फर्स्ट मेरा राष्ट्र सर्वोपरि। उन्होंने कहा कि हमारा देश राज्य व्यवस्थाओं से नहीं बना है। हमारा देश राज सिंहासन की बपौती नहीं रहा है, ना ही राज सिंहासन से यह देश बना है। 

मोदी ने कहा कहा कि इस देश में सदियों से जनसामान्य के सामर्थ्य को लेकर चलने की परंपरा रही है। लोकतंत्र में शासन व्यवस्थाएं विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं से प्रेरित हो सकती है। लोकतंत्र में यह आवश्यक भी है लेकिन प्रशासन की जो व्यवस्थाएं हैं उसके केंद्र में देश की एकता को मजबूत करने के मंत्र को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की अखंडता और एकता से कोई समझौता नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि हम नियमों और कानूनों के बंधन में ऐसे जकड़ जाते हैं। कहीं ऐसा करके जो सामने नया युवा पीढ़ी तैयार हुआ है कि हम उसके साहस को, उसके सामर्थ्य को हमारे इन नियमों के जंजाल में जकड़ तो नहीं रहे ना? उसके सामर्थ्य को प्रभावित तो नहीं कर रहे हैं ना? अगर यह कर रही है तो मैं सायद समय के साथ चलने का सामर्थ्य खो चुका हूं। 

मोदी ने आगे कहा कि आप जैसे साथियों से इस प्रकार से संवाद मैं लगभग 20-22 साल से कर रहा हूं। पहले मुख्यमंत्री के रूप में करता था और अब प्रधानमंत्री के रूप में कर रहा हूं। उसके कारण एक प्रकार से कुछ मैं आपसे सीखता हूं और कुछ अपनी बातें आप तक पहुंचा पाता हूं।

उन्होंने कहा कि आजाजी के अमृतकाल 75 साल की इस यात्रा में भारत को आगे बढ़ाने मं सरदार पटेल का सिविल सर्विस का जो तोहफा है। इसके जो ध्वजवाहक लोग रहे हैं, उन्होंने इस देश की प्रगति में कुछ न कुछ योगदान दिया ही है। उन सभी को स्मरण करना अमृतकाल में सिविल सर्विस को ऑनर करने वाला विषय बन जाएगा।

उन्होंने कहा कि हम पिछली शताब्दी की सोच और नीति नियमों से अगली शताब्दी की मजबूती का संकल्प नहीं कर सकते हैं, इसलिए हमारी व्यवस्थाओं, नियमों और परंपराओं में पहले शायद बदलाव लाने में तीस चालीस साल लग जाते थे, तब ऐसा चलता होगा। लेकिन तेज गति से बदलते हुए विश्व में हमें पल-पल के हिसाब से चलना पड़ेगा। वे बोले कि तीसरा व्यवस्था में हम कहीं पर भी हों लेकिन जिन व्यवस्था से हम निकले हैं, उसमें हमारी मुख्य जिम्मेदारी देश की एकता और अखंडता है। 

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