धर्म कोई चादर या दुपट्टा नहीं जब चाहा तब ओढ़ लिया!

Update: 2020-11-26 04:42 GMT

दो लोग जीवन भर साथ रहना चाहते हैं और शादी करना चाहते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। इसमें धर्म आड़े नहीं आना चाहिए। लेकिन शादी की आड़ में या फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन कराना गलत है।

हाल के सालों में ऐसे ढेर सारे मामले सामने आए हैं, जिनमे हिन्दू लड़कियों ने मुस्लिम लड़के से शादी के बाद जबरिया धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया है। कई मामलों में पुलिस ने अपनी जांच में यह बात सही पाई है। केरल से लेकर झारखंड और उत्तर प्रदेश तक ऐसे धर्म परिवर्तन के कई मामले सामने आए हैं।

ऐसे में साजिशपूर्वक धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक कानून बनना ही चाहिए।

ग़ांधीजी भी इस खतरनाक प्रवृत्ति के विरोधी थे। इंदिरा फिरोज विवाह पर गांधीजी ने 'हरिजन सेवक' के 8 मार्च 1942 के अंक में लिखा था, "मैं हमेशा इस बात का घोर विरोधी रहा हूं कि स्त्री-पुरुष सिर्फ ब्याह के लिए अपना धर्म बदलें। मेरा यह विरोध आज भी कायम है। धर्म कोई चादर या दुपट्टा नहीं, कि जब चाहा, ओढ़ लिया जब चाहा उतार दिया।"

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