देश में बढ़ती आत्महत्या (suicide) चिंता का विषय

Update: 2022-06-17 08:00 GMT

व्यक्ति का जब जन्म होता है तो वह सुंदर, सुनहरे भविष्य के सपने देखता है और इन्हीं सपनों को पूरा करने में अपना जीवन व्यतीत करने लगता है। यह भी सत्य है कि जिसका जन्म हुआ है, मृत्यु भी उसकी निश्चित है। लेकिन समय से पूर्व मृत्यु कहीं न कहीं दुख दे जाती है और अगर वह मृत्यु आत्महत्या हो तो सोचने पर विवश करती है कि यह आत्महत्या आखिर क्यों हुई, ऐसे कौन से कारण रहे होंगे जिससे कोई व्यक्ति आत्महत्या जैसा भयवाह कदम उठाया।

युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृति तो और भी चिंता बढ़ाती है कि जिस जीव का अभी जीवन शुरू ही हुआ आखिर उसने क्यों इतना भयावह कदम उठाया।

विगत कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है कि आत्महत्या केवल निर्धन व्यक्ति ही नहीं करता बल्कि धनाढ्य और संपन्न लोग भी यह कदम उठा रहे हैं। कोई बड़ा बिजनेसमैन हो या कोई फिल्मस्टार सभी वर्ग के लोग आत्महत्या कर रहे हैं।आइए इसके पीछे के कुछ विशेष कारणों को जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर में आत्महत्या के पीछे की वजह क्या हो सकती है क्यों लोग इस तरह का घृणित काम करने में संकोच नहीं करते।

वर्तमान परिस्थितियों में एक आम आदमी चाह कर भी तनाव व अवसाद से दूर नहीं रह सकता। बढ़ती महत्वकांक्षाएं, पारिवारिक रिश्तों में दूरी, बुजुर्गों के अनुभवों से सीखने के वातावरण का अभाव, ये सभी कारण परोक्ष रूप से हमें अवसाद के गर्त में ले जाते हैं। परिवार के सदस्यों में भावनात्मक संबंधों का अभाव अकेलेपन में आत्महत्या के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसे में व्यक्ति की मनोस्थिति को समझना अति आवश्यक है। सम्बंधों में मधुरता के माध्यम से काफी हद तक इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।

प्रेम प्रसंगों के कारण भी युवाओं में आत्महत्या की दर बढ़ी है। किसान तो आत्महत्या कर ही रहे हैं, युवा और धनवान माने जाने वाले लोग भी आत्महत्या कर रहे हैं। युवा बेरोजगारी, प्रेम में विफल होने पर आत्महत्या जैसे कदम उठाने लगे हैं। किसान फसल के नुकसान, अपने ऊपर कर्ज की समस्या से नहीं निकल पाते हैं और आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं। देश के उच्च वर्गीय पदों पर बैठे लोग भी कई बार पारिवारिक समस्याओं की गिरफ्त में आकर अपनी जान गंवा बैठते हैं। यही वजह है कि देश मे आत्महत्या का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है।

परिवार रिश्तों और मित्रों में अपनापन कम होने के कारण लोग अपनी परेशानियां किसी से शेयर नहीं कर पा रहे हैं। फेसबुक, वॉट्सएप से समस्या का समाधान नहीं मिल पाता। अकेलेपन के कारण व्यक्ति निराश हो रहा है। असल में हर आत्महत्या अपरोक्ष रूप से परिवार और समाज के द्वारा हत्या है। अकेलेपन के कारण आत्महत्याएं दिनों—दिन बढ़ती ही रहेंगी।

अति महत्वाकांक्षा के चलते भी आत्महत्या की घटनाएं होती हैं। अपनी क्षमता और योग्यता से अधिक पाने की चाह व्यक्ति को अवसाद की तरफ ले जाती है। संतुष्ट नहीं होना और ज्यादा से ज्यादा पाने की लालसा की वजह से उसकी मानसिकता कुंठित हो जाती है।

आज के इस दौर में मनुष्य के पास सहनशक्ति नहीं है। वह छोटी-सी बात पर उत्तेजित हो जाता है, चाहे वह बात उसके माता -पिता या घर के किसी सदस्य ने ही कही हो। यदि मनुष्य थोड़ा सा धैर्य व सहनशीलता धारण कर ले, तो उसकी जीवनलीला समाप्त होने से बच सकती है।

हर हालत में मजबूत रखकर जीवन का आनन्द लेना चाहिए।

वर्तमान समय में बदलती जीवनशैली व सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण आत्महत्या की दर निरंतर बढ़ रही है। आम किसान से लेकर बड़े- बड़े स्टार आज टेंशन, डिप्रेशन के चलते अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते हैं। इस आपाधापी के युग में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ भी आत्महत्या का मुख्य कारण है। इससे बचने के लिये जरूरी है कि सर्व प्रथम व्यक्ति अपने जीवन का महत्व समझे।

क्या कहती है एनसीआरबी की रिपोर्ट

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने आत्महत्या को लेकर जो आंकड़े प्रस्तुत किए वे चौंकाने है। देश में आत्महत्या करने वालों की संख्या पिछले साल के मुकाबले इस साल में बढ़ गई है। एनसीआरबी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के तहत देश में पिछले साल में 153,052 लोगों ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद प्रति लाख आबादी पर सुसाइड रेट पिछले वर्ष के मुकाबले 10.4 से बढ़कर 11.3 हो गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष में देश के अंदर रोजाना 418 लोगों ने आत्महत्या की।गृह मंत्रालय के अनुसार देश में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं महाराष्ट्र में हुईं। यहां पर 19,909 लोगों ने अपनी जान दे दी। वहीं तमिलनाडु में 16,883, मध्यप्रदेश में 14,578, पश्चिम बंगाल में 13,103 और कर्नाटक में 12,259 लोगों ने 2020 में आत्महत्या कर ली। एनसीआरबी के आकंड़े कहते हैं कि देश में हुईं कुल आत्महत्याओं में सिर्फ इन पांच राज्यों में ही 50.1 प्रतिशत लोगों ने अपनी जान दे दी। बाकी की 49.9 प्रतिशत आत्महत्याएं अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में हुईं।

आंकड़ों के अनुसार, देश में आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मजह 3.1 लोगों ने आत्महत्या की। जबकि, देश की कुल आबादी के 16.9 प्रतिशत लोग उप्र में निवास करते हैं। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की। यहां पर 3,142 लोगों ने खुदकशी कर ली।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में आत्महत्या करने वाले लोगों में से कुल 56.7 प्रतिशत लोगों ने पारिवारिक समस्याओं (33.6 प्रतिशत), विवाह संबंधी समस्याओं (5 प्रतिशत) और किसी बीमारी (18 प्रतिशत) के कारण अपनी जान ली।

परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका

व्यक्ति के जीवन को सुसंगठित रखने में परिवार का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। परिवार का संगठन नष्ट होने से व्यक्ति की मानसिक शांति, सुरक्षा और व्यक्तित्व में बाधा उत्पन्न होने लगती है तो अपनेजीवन को समाप्त करनेकी भावना प्रबल हो सकती है। जो परिवार तलाक, अलगाव, कलह के कारण टूटी हुयी स्थिति में होते हैं उनमें भी आत्महत्या की घटनाएं अधिक पायी जाती हैं।

इसलिए इस तरह की गंभीर घटनाओं से बचने के लिए परिवार में आपसी सामंजस्य बैठाकर परिवार के सभी सदस्यों से लगातार संवाद स्थापित करते रहना चाहिए जिससे की परिवार के किस सदस्य को क्या दुख है इसका पता लग सके और उसका समाधान किया जा सके क्योंकि परिवार और समाज ही है जो किसी भी व्यक्ति की आत्महत्या को रोकने में एक सार्थक भूमिका निभा सकता है।

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