वेंकैया नायडू बोले- सदन में जो हुआ उससे बहुत दुखी हूं, सदन की गरिमा को चोट पहुंची और मैं पूरा रात नहीं सो पाया

Update: 2021-08-11 07:24 GMT

ऩई दिल्ली। जब से मानसून सत्र शुरु हुआ तक से संसद की कार्यवाही अधिकतर हंगामेदार रही और सांसद अपने मार्यदा से बाहर से बाहर जाकर हंगामा करते नजर आये। ऐसे में कल यानि 10 अगस्त को विपक्षी सांसदो नें आसन की तरफ रूल बुक फेंके। इसको लेकर राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू बुधवार को भावुक हो गए। उन्होंने सदन में विपक्ष के बर्ताव की निंदा की। उन्होंने कहा कि संसद में जो हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं। कल जब कुछ सदस्य टेबल पर आए, तो सदन की गरिमा को चोट पहुंची और मैं पूरा रात नहीं सो पाया। राज्यसभा चेयरमैन ने विपक्ष की लगातार मांग पर कहा कि आप सरकार को इस बात के लिए फोर्स नहीं कर सकते कि वो क्या करे, क्या नहीं?


हंगामे की वजह

मंगलवार दोपहर 2 बजे दोपहर के भोजन के बाद जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, उपसभापति भुवनेश्वर कलिता ने कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान पर एक संक्षिप्त चर्चा शुरू करने का आह्वान किया। इस पर विरोध दर्ज कराने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उनके नोटिस को सदन के संज्ञान में लाए बिना और बिना सहमति के ही चर्चा का समय कम कर दिया गया है। यह निर्णय एकतरफा है।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन सदन की राय लेने की जरूरत है तो ले लीजिए। इस पर कलिता ने कहा कि यह अध्यक्ष का निर्णय है, इसलिए मैं इसमें बदलाव नहीं कर सकता और हम उसी आधार पर चर्चा करा रहे हैं। उन्होंने चर्चा शुरू करने के लिए भाजपा के विजय पाल सिंह तोमर को आमंत्रित किया। 

इस दौरान विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। तोमर ने सभापति से पूछा कि वह हंगामे के बीच कैसे बोल सकते हैं, लेकिन अपना भाषण जारी रखा और किसानों की खराब स्थिति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।

बाद में, बीजद नेता प्रसन्ना आचार्य ने भी हंगामे के बीच अपनी बात रखी। विपक्षी सदस्य नारे लगाते रहे, आचार्य को सुनना मुश्किल हो गया। आचार्य जब बोल रहे थे, तभी विरोध कर रहे सदस्यों में से एक सांसद महासचिव की मेज पर चढ़ गए। वह सदन की वेल में रहे और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान आसन की तरफ रूल बुक भी फेंक दी। इस हंगामे के दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने 'जय जवान, जय किसान' के नारे भी लगाए। इसके साथ ही तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की।


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