XPoSat Launching: साल के पहले ही दिन इसरो ने रचा इतिहास, ब्लैक होल्स का रहस्य खोजने ‘एक्सपो’ सैटेलाइट लॉन्च

ISRO XPoSat Launching: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत आज एक और उपलब्धि हासिल करने जा रहा है. दरअसल, इसरो नए साल के पहले दिन एक्सपो सैटेलाइट को लॉन्च कर रहा है.;

Update: 2024-01-01 05:54 GMT

ISRO XPoSat Launching: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और इतिहास रचने जा रहा है. दरअसल, इसरो सोमवार (1 जनवरी 2024) को एक्सपोसैट को लॉन्च करेगा. इसरो का ये सैटेलाइट ब्लैक होल्स के राज जानने की कोशिश करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पहले एक्स-रे पोलरीमीटर उपग्रह यानी एक्सपोसैट को सुबह 9.10 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल सी58 (PSLV C58) द्वारा की जाएगी. जो इस सैटेलाइट को महज 21 मिनट में अंतरिक्ष में 650 किमी ऊंचाई पर पहुंचा देगा. बता दें कि PSLV C58 का ये 60वां मिशन है. इसरो एक्सपोसैट के साथ साथ 10 अन्य उपग्रहों को भी पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा.

एक्सपोसैट की लॉन्चिंग के लिए रविवार सुबह 8:10 बजे से उलटी गिनती शुरू हुई. करीब दो घंटे बाद यानी सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र को प्रथम लॉन्च पैड से इसकी लॉन्चिंग की जाएगी. इसरो का ये एक्सपोसैट अगले पांच साल तक अंतरिक्ष में ब्लैक हॉल्स के राज जानने की कोशिश करेगा. यानी एक्सपोसैट 2028 तक काम करेगा. एक्सपोसैट के प्रक्षेपण के लिए 44.4 मीटर ऊंचा पीएसएलवी-डीएल रॉकेट बनाया गया है. जिसका लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 260 टन है. जो एक्सपोसैट को पृथ्वी से 650 किमी ऊंचाई पर स्थापित करेगा.

जिसमें मात्र 21 मिनट का वक्त लगेगा. एक्सपोसैट को स्थापित करने के बाद इसरो के वैज्ञानिक लॉन्चिंग व्हीकल्स पीएसएलवी-सी 58 को पृथ्वी की ओर 350 किमी की ऊंचाई तक वापस लाएंगे. जो रॉकेट का चौथा चरण होगा. जिसमें पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-3 (पोयम3) का परीक्षण किया जाएगा. बता दें कि पीएसएलवी चार चरणों वाला रॉकेट है. इसके पहले तीन चरण प्रयोग होने के बाद समुद्र में गिर जाएंगे और अंतिम चरण (PS4) उपग्रह को कक्षा में प्रक्षेपित करने के बाद अंतरिक्ष में कचड़ा बन जाता है. बता दें कि इससे पहले अप्रैल 2023 में पीएसएलवी सी 55 रॉकेट के साथ भी पोयम परीक्षण कर चुका है.

बता दें कि इसरो ने एक्सपोसैट में दो उपकरण लगाए हैं. जिसमें पहला पोलरीमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्सरे यानी पॉलिक्स हैं जिसे रमन शोध संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. वहीं दूसरा उपकरण एक्सरे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग यानी एक्सपेक्ट है जिसे यूआर राव उपग्रह केंद्र बेंगलूरू द्वारा बनाया गया है.

इसरो एक्सपोसैट के साथ-साथ जिन 10 अन्य उपग्रहों को आज (सोमवार) को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा, उनमें टेक मी 2 स्पेस कंपनी द्वारा बनाया गया रेडिएशन शील्डिंग एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल, LBS महिला तकनीकी संस्थान द्वारा बनाया गया उपग्रह, केजे सोमैया तकनीकी संस्थान द्वारा बनाया गया रेडियो उपग्रह बिलीफसैट भी शामिल है. जिसे शौकिया तौर पर बनाया गया है.

इनके अलावा इंस्पेसिटी स्पेस लैब द्वारा बनाया गया ग्रीन इम्पल्स ट्रांसमीटर, ध्रुव स्पेस द्वारा विकसित लॉन्चिंग एक्सपीडिशंस फॉर एस्पायरिंग टेक्नोलॉजीस टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर, बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस द्वारा विकसित किए गए रुद्र 0.3 एचपीजीपी और आर्का 200 उपग्रह, इसरो के पीआरएल द्वारा बनाया गया उपग्रह डस्ट एक्सपेरिमेंट, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र द्वारा विकसित उपग्रह फ्यूल सेल पावर सिस्टम और सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा सेल शामिल हैं.

क्यों खास है एक्सपोसैट?

इसरो के मुताबिक, एक्सपोसैट उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण के बारे में जानकारी इकट्ठा करना है. जिसमें वह ये जानने की कोशिश करेगा ये किस आकाशीय पिंड की से आ रही हैं. ये संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे, आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक जैसी महत्वपूर्ण चीजों को समझने में मदद करेंगी. जो आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझाने में मददगार साबित होंगी.

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