कांग्रेस की स्थापना के 134 साल हुए पूरे, 'संविधान बचाओ-भारत बचाओ' रैली निकाल रही कांग्रेस

Update: 2019-12-28 04:50 GMT

नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी 135वीं सालगिरह मना रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यालय पर ध्वजारोहण कर स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत की। भारत में तकरीबन 49 सालों तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी का गठन स्कॉलैंड के एओ ह्यूम ने 28 दिसंबर 1885 को किया था।



 कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी मुख्यालय में झंड़ा फहराया. इस मौके पर राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला. राहुल ने NRC और CAA को लेकर कहा कि सरकार का ये कदम गरीब लोगों के लिए नोटबंदी से भी बड़ा झटका साबित होगा. राहुल ने कहा कि सरकार के 15 दोस्तों को कोई कागजात नहीं देना होगा, लेकिन बाकी गरीब लोग इससे बहुत परेशान होंगे और ये कदम नोटबंदी से भी बड़ी झटका साबित होगा।



 

कांग्रेस ने आज के दिन को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के रूप में समर्पित करने का फैसला किया है. इस मौके पर कांग्रेस देश भर में 'संविधान बचाओ-भारत बचाओ' निकाल रही है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी देश की राजधानी दिल्ली में पार्टी के स्थापना दिवस आयोजन समारोह के साथ इस प्रदर्शन की शुरूआत करेंगी. वहीं राहुल गांधी असम में (CAA) विरोधी रैली में शिरकत करेंगे तो प्रियंका गांधी वाड्रा लखनऊ में कांग्रेस के इस मार्च की कमान थामेंगी।

तकरीबन 135 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस कई बार टूटी और कई बार इसके प्रमुख नेताओं ने इससे अपना नाता भी तोड़ा। इमरजेंसी के बाद जब पार्टी ने इंदिरा गांधी को अनुशासन के आरोप में पार्टी से बाहर निकाल दिया था तब उन्होंने कांग्रेस(आई) नाम से नई पार्टी का गठन किया। इसका चुनाव चिह्न पंजा रखा गया और पार्टी का नाम भी बदलकर इंडियन नैशनल कांग्रेस कर दिया गया।

जब महात्मा गांधी ने संभाली कमान

शुरुआती दशकों में कांग्रेस की भूमिका सुधार प्रस्तावों तक सीमित रही। 20वीं सदी की शुरुआत में पार्टी के अंदर ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ व स्वदेशी के समर्थन में आवाज मुखर होने लगी। भारतीयों से आयातित ब्रिटिश उत्पादों के बहिष्कार व भारतीय उत्पादों को अपनाने की अपील की जाने लगी। 1917 आते-आते समूह के अंदर उग्र विचारधारा की मानी जाने वाली बाल गंगाधर तिलक व एनी बेसेंट की होम रूल विंग का असर काफी बढ़ चुका था। 1920 और 30 के दशक में कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसक असहयोग आंदोलन का रास्ता अपनाया।

आजादी के बाद लंबा शासन

आजादी के आंदोलन से जुड़े लगभग सभी बड़े नेताओं की राजनीतिक जड़ें कांग्रेस में रही हैं। इनमें देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू व देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रमुख हैं। स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक पार्टी का देश में शासन रहा है। 

कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चन्द्र बनर्जी थे |कांग्रेस के गठन का उद्देश्य,जैसा कि उसके द्वारा कहा गया,जाति, धर्म और क्षेत्र की बाधाओं को यथासंभव हटाते हुए देश के विभिन्न भागों के नेताओं को एक साथ लाना था ताकि देश के सामने उपस्थित महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार विमर्श किया जा सके| कांग्रेस ने नौ प्रस्ताव पारित किये,जिनमें ब्रिटिश नीतियों में बदलाव और प्रशासन में सुधार की मांग की गयी|

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लक्ष्य और उद्देश्य

• देशवासियों के मध्य मैत्री को प्रोत्साहित करना

• जाति,धर्म प्रजाति और प्रांतीय भेदभाव से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास करना

• लोकप्रिय मांगों को याचिकाओं के माध्यम से सरकार के सामने प्रस्तुत करना

• राष्ट्रीय एकता की भावना को संगठित करना

• भविष्य के जनहित कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार करना

• जनमत को संगठित व प्रशिक्षित करना

• जटिल समस्याओं पर शिक्षित वर्ग की राय को जानना

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