लोकसभा चुनावी किस्से : ..जब नेहरू ने कहा था, 'उसके लोकसभा ना आने का पाप मैं अपने सर नही लेना चाहता'

सुभद्रा जोशी भी चाहती थीं कि नेहरू उनके लिए चुनाव प्रचार करें, लेकिन नेहरू ने प्रचार करने से साफ इन्कार करते हुए कहा - 'मैं ये नहीं कर सकता'

Update: 2019-04-09 05:13 GMT

डॉ. रुद्र प्रताप दुवे (वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक)

बलरामपुर सीट 1957 में पहली बार लोकसभा के तौर पर अस्तित्व में आयी थी। अटल बिहारी बाजपेयी लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ रहे थे। इन तीनों सीटों में बलरामपुर की सीट अटल जी के लिए ज्यादा बेहतर इस वजह से हो गयी थी क्योंकि इस सीट पर करपात्री महाराज ने अटल जी का समर्थन कर दिया था। अटल जी के सामने चुनाव में कांग्रेस के हैदर हुसैन उम्मीदवार थे। जनसंघ और करपात्री महाराज ने इस पूरे चुनाव को हिंदू बनाम मुस्लिम में तब्दील कर दिया और फिर अटल जी करीब 9 हजार वोटों से बलरामपुर का चुनाव जीत गए।

हिंदू बनाम मुस्लिम होने के बाद भी बलरामपुर सीट पर चुनाव मुश्किल से जीतने वाले अटल जी 1962 के चुनाव में फिर से यहाँ से उम्मीदवार बने। इस चुनाव में कांग्रेस ने बड़ा बदलाव करते हुए मुस्लिम उम्मीदवार की जगह पर एक ब्राह्मण और महिला उम्मीदवार सुभद्रा जोशी को उतारा जिन्हें खुद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वाजपेयी के खिलाफ बलरामपुर से चुनाव लड़ने के लिए राजी किया था। सुभद्रा जी इसके पहले अम्बाला और करनाल से दो बार सांसद भी रह चुकी थीं।

इस चुनाव में पहली बार उत्तर भारत में सिनेमा का कोई स्टार चुनाव प्रचार के लिए आया। 'दो बीघा जमीन' फ़िल्म से देश में अपनी पहचान बना चुके अभिनेता बलराज साहनी जब कांग्रेस के लिए बलरामपुर में चुनाव प्रचार करने को उतरे तो देखने के लिए आने वाली भीड़ ने ही चुनाव परिणाम को स्पष्ट कर दिया था। इस चुनाव में सुभद्रा जोशी ने अटल जी को 2052 वोटों से हराया।

हालांकि सुभद्रा जोशी को चुनाव लड़ने के लिए नेहरू ने ही भेजा था लेकिन खुद नेहरू सुभद्रा जोशी के लिए चुनाव प्रचार करने नहीं आए। सुभद्रा जोशी भी चाहती थीं कि नेहरू उनके लिए चुनाव प्रचार करें, लेकिन नेहरू ने प्रचार करने से साफ इन्कार करते हुए कहा - 'मैं ये नहीं कर सकता। मुझ पर प्रचार के लिए दबाव न डालिये। अटल बिहारी को विदेशी मामलों की अच्छी समझ है। उसके लोकसभा ना आने का पाप मैं अपने सर पर नही लेना चाहता।'

1967 में जब आम चुनाव हुए तो वाजपेयी एक बार फिर बलरामपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरे। इस बार भी उनके सामने कांग्रेस से सुभद्रा जोशी ही थीं लेकिन इस बार कांग्रेस के पास नेहरू का नेतृत्व नही था और बिना नेहरू वाली सुभद्रा जोशी को इस बार अटल ने 32 हजार से भी ज्यादा वोटों से हरा दिया था।

(लोकसभा चुनावी किस्से)

#दूसरीकिस्त

Tags:    

Similar News