वीवीपैट को लेकर उच्चतम न्यायालय ने विपक्ष को दिया करारा झटका

चेन्नई के एक गैर सरकारी संगठन ‘टेक फार आल’ ने दायर की थी याचिका।

Update: 2019-05-21 10:27 GMT

नई दिल्ली। हमेशा से राजनीतिक पार्टीयां ईवीएम को लेकर सवाल उठाती रही है लेकिन इस बार वीवीपैट को लेकर सवाल उठाया गया है। सात चरणों के मतदान के बाद उच्चतम न्यायालय ने देश में हुए आम चुनावों के लिए 23 मई को होने वाली मतों की गिनती के दौरान वीवीपैट मशीनों की पर्ची का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के आंकड़ों के साथ शत प्रतिशत मिलान करने की मांग वाली जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी । न्यायमूर्ति अरूण मिश्र की अगुवाई वाली अवकाश पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया । यह याचिका चेन्नई के एक गैर सरकारी संगठन 'टेक फार आल' की ओर से दायर की गयी थी ।

अवकाश पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली अदालत की वृहद पीठ इस मामले में सुनवाई कर आदेश पारित कर चुकी है। शीर्ष अदालत ने कहा, ''प्रधान न्यायाधीश इस मामले का निस्तारण कर चुके हैं । दो न्यायाधीशों की अवकाश पीठ के समक्ष आप जोखिम क्यों ले रहे हैं।'' न्यायमूर्ति मिश्र ने कहा, ''हम प्रधान न्यायाधीश के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते हैं, यह बकवास है। यह याचिका खारिज की जाती है।''

आपको बता दें कि इससे पहले 7 मई को शीर्ष अदालत ने 21 विपक्षी दलों की ओर से दायर समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी। वही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में विपक्षी दलों की ओर से दायर याचिका में वीवीपैट पर्चियों के साथ ईवीएम के आंकड़ों का मिलान बढ़ा कर 50 फीसदी किये जाने की मांग की गयी थी । लेकिन उच्चतम न्यायालय ने 8 अप्रैल को अपने फैसले में निर्वाचन आयोग को मतगणना के दिन प्रत्येक विधानसभा के पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने का निर्देश दिया था। 

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