इस रिहायशी इलाके में घूम रहे 40 तेंदुए, अब तक 20 लोंगों को मार डाला

भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक 10 किमी के इस इलाके में 40 तेंदुए घूम रहे हैं. इनमें से 19 तेंदुए बस्तियों के आसपास के क्षेत्र में हैं. पिछले 5 सालों में तेंदुओं ने यहां 20 लोगों का शिकार किया है

Update: 2019-07-23 07:18 GMT

उत्तराखंड में आदमी और वन्य जीवों का संघर्ष एक बड़ी समस्या बन कर उभरा है. हरिद्वार ज़िले के राजाजी पार्क की मोतीचूर रेंज में पिछले 5 सालों में तेंदुओं के हमले में करीब 20 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि 12 लोग घायल हुए हैं. समस्या इसलिए और गंभीर हो जाती है क्योंकि ये जगह आबादी के करीब है. एक सरकारी रिपोर्ट ये मुताबिक दस किलोमीटर के इस इलाके में करीब 40 तेंदुए घूम रहे हैं, जिनमें से 19 तेंदुए बस्तियों के आसपास के क्षेत्र में हैं.

मोतीचूर रेंज में घूम रहे 40 तेंदुए

मोतीचूर रेंज के इलाके में देहरादून-हरिद्वार हाईवे और रेलवे क्रांसिग हैं. यहां बड़ी आबादी वाले रायवाला, हरिपुरकलां, प्रतीत नगर और मोतीचूर जैसे बड़े कस्बे इसकी सीमा से लगे हैं. इन गांवों का रास्ता पार्क के बीच से गुजरता है. भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि 10 किमी के इस क्षेत्र में 40 तेंदुए घूम रहे हैं. इनमें से 19 तेंदुए रिहायशी क्षेत्र के आसपास हैं. ऐसे में आदमी और वन्य जीवों के संघर्ष को रोकना बड़ी चुनौती है.

आदमखोर तेंदुए का शिकार

पिछले 5 सालों में यहां से 8 तेंदुओं को पकड़कर जंगल के दूसरे हिस्सों में छोड़ा जा चुका है. 3 तेंदुओं को चिड़ियापुर में स्थिति रेस्क्यू सेंटर भेजा जा चुका है. जुलाई 2018 में मैन ईटर की आशंका में एक तेंदुए को शिकारी प्रशांत द्वारा शूट भी किया जा चुका है. बावजूद इसके इस क्षेत्र में अभी भी कई आदमखोर तेंदुए घूम रहे हैं.

अब जाल में नहीं फंसते तेंदुए

राजाजी पार्क की सीनियर वेटरनरी ऑफिसर डा. अदिति शर्मा का कहना है कि यहां तेंदुए को कैप्चर करना धीरे-धीरे बड़ी समस्या बनता जा रहा है. तेंदुओं के व्यवहार में यहां परिवर्तन भी देखा जा रहा है. वो सामान्य केज को दूर से ही भांप लेते हैं. इसके लिए हमने झोपड़ीनुमा केज भी बनाए. लेकिन तेंदुए तब भी इसके आसपास तक नहीं फटकते. केज में बंधे कुत्ते को दूर से ही देखकर तेंदुए अपना रास्ता बदल दे रहा हैं. हमारे ट्रेंक्यूलाइज करने से पहले ही वो उस इलाके को छोड़ चुका होता है.

शिकार करते ही आदमखोर बन जाते हैं तेंदुए

भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिक के.रमेश कहते हैं कि यहां से आदमखोर तेंदुओं को हटाना कोई समाधान नहीं है. ऐसे तेंदुए अपने क्षेत्र में प्रभावशाली होते हैं. समस्या ये है कि एक मैन ईटर को हटाया तो दूसरा तेंदुए आ जाएगा. मानव आबादी के लगातार मूवमेंट होते रहने के कारण एक दिन वो भी मैन ईटर हो जाएगा. साइंटिस्ट के. रमेश कहते हैं कि यहां पर मानव आबादी के मूवमेंट पर नियंत्रण रखने की जरूरत है. इस क्षेत्र में अधिकतर लोग घास, पानी, शौच या फिर लकड़ी के प्रयास में पार्क के अंदर जाते हैं और वहां तेंदुए का शिकार बन जाते हैं. 

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