प्रधानमंत्री के संबोधन की 10 मुख्य बातें

Update: 2021-10-22 09:46 GMT

N K Singh 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए जिन विषयों को छुआ, उनमें वैक्‍सीन की सौ करोड़ डोज का लक्ष्‍य प्राप्‍त करना, नए लक्ष्‍य निर्धारित करना, संयंमित रहते हुए आगे की राह तलाशना, एहतियात के साथ त्‍योहारों का लुत्‍फ उठाना प्रमुख था। उन्‍होंने कहा कि कभी भारत को लेकर विश्‍व सवाल उठाता था कि हम टीकाकरण के बड़े लक्ष्‍य को कैसे पूरा कर सकेंगे। लेकिन आज देश की जनता ने उन्‍हें सौ करोड़ डोज लेकर जवाब दे दिया है। अपने संबोधन में और भी कई खास बातें कहीं।

1- देशवासियों की सफलता का परिणाम है 100 करोड़ डोज

21 अक्‍टूबर को भारत ने सौ करोड़ वैक्‍सीन की खुराक देने का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया। इसमें 130 करोड़ देशवासियों का सहयोग है। ये पूरे देश और देशवासियों की सफलता है। ये केवल आंकड़ा नहीं है बल्कि ये इतिहास के नए अध्‍याय की रचना है। ये नए भारत की तस्‍वीर है जो कठिन लक्ष्‍य को हासिल करना जानता है। अपने संकल्‍पों की सिद्धी के लिए परिश्रम की पराकाष्‍ठा करता है।

2- सवालों को मिला जवाब

आज भारत की तुलना दूसरे देशों में चलाए जा रहे टीकाकरण से हो रही है। दूसरे देशों के लिए वैक्‍सीन की रिसर्च करना और इसको खोजना बाहरी दुनिया की एक्‍सपर्टीज थी। भारत भी पहले इन पर आधारित था। जब महामारी भारत में आई तो उस वक्‍त सवाल उठे कि भारत इससे कैसे लड़ेगा। वैक्‍सीन को लेकर भी सवाल उठे। कैसे बनेगी, कैसे लगेगी, कौन इसके लिए आगे आएगा वगैरह-वगैरह। लेकिन आज सौ करोड़ वैक्‍सीन देने के बाद हर सवाल को जवाब मिल गया है।

3- मुफ्त वैक्‍सीन का अभियान

भारत ने अपने नागरिकों को 100 करोड़ वैक्‍सीन लगाई हैं वो भी मुफ्त। इसका प्रभाव होगा कि भारत को दुनिया कोरोना से अधिक सुरक्षित मानेगी। भारत को और अधिक मजबूती मिलेगी। पूरा विश्‍व भारत की मजबूती को देख रहा है। सबका साथ सबका विकास और सबका प्रयास का जीता जागता उदाहरण है भारत।

4- वीआईपी कल्‍चर नहीं हुआ हावी

पूरा विश्‍व सवाल करता था कि भारत और इसके लोगों के लिए इतना संयंम और अनुशासल यहां कैसे चलेगा। हमारे लिए लोकतंत्र का मतलब है सबका साथ। देश में मुफ्त वैकसीन का अभियान शुरू हुआ। देश का मंंत्र एक ही था कि यदि बीमारी भेदभाव नहीं करती तो वैक्‍सीन में भी भेदभाव नहीं होगा। इसलिए इसके लिए ये तय किया गया है इस पर वीआईपी कल्‍चर हावी नहीं होने दिया जाएग

5- जनभागीदारी बनी ताकत

ये भी कहा जा रहा था कि यहां पर लोग टीका लगवाने नहीं आएंगे। दुनिया के कई देशों में ये दिखाई दे रहा है। लेकिन सौ करोड़ के आंकड़े ने इस सवाला का भी जवाब मिल गया है। सबके साथ से परिणाम भी अनूठा मिला है। हमने जन भागीदारी को पहली ताकत बनाया। एकजुटता को ऊर्जा देने के लिए ताली और थाली बजाई, दीए जलाए। उस वक्‍त सवाल उठे कि क्‍या ऐसा करने से बीमारी दूर हो जाएगी। लेकिन उस वक्‍त सभी को इसमें सामूहिक ताकत का अहसास हुआ था। यही वजह है कि हम आज इस आंकड़े को छू सके। देश में कई बार एक दिन में एक करोड़ डोज तक दी गईं। दुनिया के बड़े देश भी ये नहीं कर सके। ये तकनीक का अनूठा इस्‍तेमाल भी है।

6- साइंस पर आधारित रहा भारत का टीकाकरण अभियान

भारत का पूरा वैक्‍सीन प्रोग्राम साइंस से जुड़ा रहा। हमारी चुनौती प्रोडेक्‍शन और वितरण की भी थी। समय से वैक्‍सीन पहुचाने का काम काफी चुनौतीपूर्ण था। लेकिन साइंस के जरिए इस लक्ष्‍य को पार किया गया। असाधारण तरीके से संसाधनों को बढ़ाया गया। कोविन प्‍लेटफार्म विश्‍व में आकर्षण का केंद्र बना। इससे आम लोगों को सहयोग मिला और मेडिकल स्‍टाफ का काम भी कम हुआ।

7- हर तरफ उमंग और उम्‍मीद

आज हर तरफ एक उत्‍साह है उमंग है। हर जगह आप्टिमीजम नजर आता है। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को विश्‍व सकारात्‍मक रूप से ले रहा है। स्‍टार्टअप में रिकार्ड बनता दिखाई दे रहा है। बीते समय में किए गए कई रिफार्म और दूसरे कदम भविष्‍य में भारत की अर्थव्‍यवस्‍थाक को तेजी से बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

8- मेड इन इंडिया सबसे बड़ी ताकत

कोरोना काल में कृषि क्षेत्र ने हमारे देश की अर्थव्‍यवस्‍था को संभाले रखा। किसानों को खाते में पैसे मिल रहे हैं। सभी तरफ सकारात्‍मक माहौल है। आने वाले दिनों में त्‍योहारों का मौसम इसको और अधिक गति देगा। आज हर देशवासी ये अनुभव कर रहा है कि मेड इन इंडिया की ताकत सबसे बड़ी है। मेड इन इंडिया हो उसको खरीदने पर जो दिया जाना चाहिए। ये सभी के प्रयास से संभव होगा। जैसे स्‍वच्‍छ अभयान एक जनआंदोलन है़, वैसे ही मेड इन इंडिया की चीजों को खरीदना हमें अपने व्‍यवहार में लाना होगा।

9- पहले तनाव अब उम्‍मीद

पिछली दीवाली पर हर तरफ तनाव था आज विश्‍वास का माहौल है। इस सोच से हम अपनी दीवाली को और भव्‍य बना सकते हैं। ये दीवाली हम सभी के लिए आशा की किरण बनकर आई है। इससे ये बात उभरकर सामने आई है कि देश बड़े लक्ष्‍य तय करना और इसको पाना बखूबी जानता है।

10- एहतियात के साथ मनाएं त्‍योहार

कवच कितना ही उत्‍तम हो तब भी हमें जब तक लड़ाई चल रही है हथियार नहीं डाले जाते हैं। अपने त्‍योहाारों को पूरी सतर्कता के साथ मनाना है। जैसे जूते पहनकर बाहर जाने की आदत लगी है वैसे ही मास्‍क की भी आदत डालनी है। जिनको वैक्‍सीन नहीं लगी है उसको प्राथमिकता दें। हम सभी प्रयास करेंगे तो कोरोना को जल्‍द हरा सकेंगे।

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