Yogi Sarkar 2.0 के मंत्रियों में काम का बंटवारा, शिवपाल और केशव प्रसाद वाला विभाग अब जितिन प्रसाद को मिला
विभाग की जानकारी उजागर होने के बाद भाजपा के कई विधायकों ने फोन कर इतना महत्वपूर्ण महकमा जितिन को दिए जाने पर हैरानी जताई। विधायकों का कहना है कि..
योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 की टीम के किस सदस्य को कौन सी जिम्मेदारी मिलेगी, अब यह तय हो गया है। शपथग्रहण के तीन दिन बाद मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे अधिक 34 विभाग अपने पास रखे हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को ग्राम विकास विभाग और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
विभागों की दृष्टि से सबसे मजबूत जितिन प्रसाद दिखाई दे रहे हैं। उन्हें लोक निर्माण विभाग यानी PWD दिया गया है। यह विभाग सपा सरकार में शिवपाल यादव और पिछली योगी सरकार में केशव प्रसाद मौर्य के पास था। जितिन प्रसाद के पास पिछली सरकार में प्राविधिक शिक्षा विभाग था। इस बार प्राविधिक शिक्षा विभाग अपना दल कोटे से आए आशीष पटेल को दिया गया है।
पीडब्ल्यूडी जितिन को ही क्यों दिया गया, इसके पीछे जितिन की साफ सुथरी छवि सबसे महत्वपूर्ण है। पीडब्ल्यूडी हमेशा चर्चित रहा है। पिछली योगी सरकार में यह विभाग केशव प्रसाद मौर्य के पास था। तब टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी करने के लिए तमाम प्रक्रियाएं अपनाई गईं, तब भी आरोप- प्रत्यारोप लगते रहे, इसीलिए इस बेहद महत्चपूर्ण पीडब्ल्यूडी विभाग की जिम्मेदारी जितिन को दी गई, क्योंकि केंद्र में भी मंत्री रहने के दौरान उनके पास कई महत्वपूर्ण मंत्रालय रहे, लेकिन कभी किसी का आरोप प्रत्यारोप उन पर नहीं रहा। पीडब्ल्यूडी जितिन को दिया जाना, भविष्य का बड़ा संदेश भी है, जिसे राजनीतिक समझ के लोग बाखूबी जानते भी हैं।
विभाग की जानकारी उजागर होने के बाद भाजपा के कई विधायकों ने फोन कर इतना महत्वपूर्ण महकमा जितिन को दिए जाने पर हैरानी जताई। विधायकों का कहना है कि जितिन दूसरी पार्टी से आए हैं। अब पार्टी के विधायक उनकी दरबार सजाएंगे। हालांकि जितिन केंद्र में मंत्री रहे हैं और राज्य सरकार में भी मंत्री का अनुभव है। वह मृदुभाषी हैं व सहजता से मिलते-जुलते हैं। दूसरा सामाजिक समीकरण में ब्राह्मण चेहरा भी हैं और मुख्यमंत्री से उनके सहज संबंध भी हैं। बताया जा रहा है कि सीएम से सहज संबंध होना जितिन के लिए लाभकारी साबित हुआ। पर, वह किस तरह सभी विधायकों को संतुष्ट कर पाएंगे, इस पर सबकी नजर होगी।
जितिन प्रसाद पिछले साल ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद योगी की पिछली सरकार के अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार में जितिन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।2001 में जितिन प्रसाद के पिता जीतेंद्र प्रसाद का निधन हो गया था। जीतेंद्र प्रसाद के निधन के वक्त जितिन प्रसाद पढ़ाई कर रहे थे। उस वक्त मां कांता प्रसाद ने लोकसभा का उपचुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गईं। 2001 के बाद पढ़ाई पूरी होने पर जितिन बैंक अफसर बन गए थे। पर परिवार की राजनीति विरासत चलाने के लिए वह 2001 में युवक कांग्रेस के सचिव बनाए गए।
हालांकि वह पूरी तरह से सक्रिय नहीं हुए थे। 2004 में लोकसभा का आमचुनाव आ गया। अब जितिन प्रसाद को चुनाव के लिए तैयार किया गया। पूरे शाहजहांपुर ने उन्हें सिर आंखों पर रखा और बम्पर वोटों से उन्हें जिताया। 2008 में जितिन का राजनीतिक कद बढ़ा और केंद्र सरकार में इस्पात राज्य मंत्री बनाया गया। इस दौरान जितिन प्रसाद ने अपने जिले के लोगों की खूब सेवा की।
2009 में शाहजहांपुर सीट का आरक्षण बदल गया। इसलिए उन्हें पड़ोसी खीरी जिले की धौरहरा सीट से कांग्रेस ने टिकट दिया। वह धौरहरा लोकसभा सीट से 1 लाख 84 हजार 509 वोटों से विजयी भी हुए। इस दौरान धौरहरा क्षेत्र में प्रमुख सड़कों का निर्माण करा कर जितिन प्रसाद ने जनता का दिल जीत लिया। उसी वक्त जितिन प्रसाद न मुफ्त गैस कनेक्शन दिलाने का अभियान भी चलाया। गरीबों के छप्परों की जगह टीन की चादरें डलवाईं।
चैरिटी के कई अस्पताल खुलवाए। शाहजहांपुर में भारती ग्रुप के कई स्कूल संचालित कराए। जितिन प्रसाद 2009 से जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 19 जनवरी 2011- 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा 28 अक्टूबर 2012 - मई 2014 तक मानव संशाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहे। छोटों को प्यार और बड़ों को सम्मान देना उनके परिवार का हमेशा से संस्कार रहा, जिसे जितिन प्रसाद अब तक निभा भी रहे हैं।