इटावा पुलिस ने लालच दिखाकर लाखों रूपये के डॉलर सस्ते में देने वाले गैंग के दो सरगना और किये गिरफ्तार

इटावा पुलिस सस्ते डॉलर का लालच दिखाकर लोगों से ठगी करने वाले गैंग अब कुल सात सदस्य गिरफ्तार कर लिए है.

Update: 2021-03-10 18:02 GMT

इटावा पुलिस ने फर्जी एप एवं बेबसाइट बनाकर विभिन्न प्रकार का लालच देकर ग्राहकों से रुपयों को डॉलर में परिवर्तित करने की ठगी करने वाले गिरोह के 5 अभियुक्तों को ठगी में प्रयुक्त उपकरणों समेत बीती आठ मार्च की गिरफ्तार किया था. 

इस गैंग के मुख्य आरोपी उस समय पुलिस की गिरफ्त में नहीं आये थे. लेकिन एसएसपी आकाश तोमर इस गैंग के बाकी बच्चे सदस्यों की फिराक में लगे रहे और अपनी तकनीक से उनको ट्रेस करके नोएडा में रहने वाले अखिल और आगरा के राहुल को आज गिरफ्तार कर लिया है. 

एसएसपी आकाश तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि हमने एक संदिग्ध साइबर धोखाधड़ी गिरोह के 7 सदस्यों को एनसीआर, आगरा, इटावा, फतेहपुर और कानपुर में स्थित को एक शिकायतकर्ता द्वारा प्रदान किए गए इनपुट के आधार पर गिरफ्तार किया है. उनसे 8,000 नकद के बदले में 20,000 डॉलर की नकली रसीदें दी गई थीं. जो की फर्जी थी.

एसएसपी आकाश तोमर ने बताया कि उन्होंने कई एप्लिकेशन और वेबसाइट बनाई हैं जो यूजर इंटरफेस के मामले में प्रमुख वास्तविक एप्स और वेबसाइटों की हुबहू प्रतिकृतियां हैं. जैसी की असलियत में होती है. 2 और मास्टरमाइंड और पहले गिरफ्तार किये गये पांच आरोपियों समेत कुल 7 ( एनसीआर, आगरा, इटावा, फतेहपुर और कानपुर से) को साइबर धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है जो इन फर्जी गेटवे / वॉलेट साइटों का संचालन कर रहे थे और ब्लॉकचेन का उपयोग करके क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन कर रहे थे. 

पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार किये गये अभियुक्तों द्वारा बताया गया कि वह कई विदेशी डार्कबेव हैकर्स के संपर्क में रहते है जो उन्हे सभी साइटो के उपयोगकर्ता के नाम व पासवर्ड उपलब्ध कराते है और वह वास्तविक निवेशकों को 50 प्रतिशत की दर से विदेशी मुद्रा प्रदान करने का लालच देकर रुपय़ों की ठगी करते है और जाली जमा रशीद जारी करते हैं जो हुबहू वास्तविक लेनदेन की प्राप्ति की रशीद लगती है. पहले गिरफ्तार अभियुक्तों द्वारा उनके 1.मार्च .2021 को दीवान इंटरनेशनल फर्म के मालिक के साथ 8 लाख रुपयों की ठगी की गयी थी, तथा अभियुक्तों द्वारा यह भी बताया गया कि पूरा लेन-देन ब्लॉकचैन तकनीकी पर आधारित है एवं पुलिस निगरानी से बचने के लिए बिटक्वाइन व डॉगक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग मे लाया जाता है.


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