राम मंदिर ट्रस्ट बनते ही दान देने का सिलसिला शुरु, मिला पहला दान एक रुपये का

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नामक ट्रस्ट के गठन की सूचना लोकसभा में दी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'देश के करोड़ों लोगों की तरह यह विषय मेरे दिल के करीब है।

Update: 2020-02-06 03:41 GMT

केंद्र सरकार की ओर से अयोध्या में विशाल और भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए 15 सदस्यीय एक स्वतंत्र ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की तीन महीने की समय-सीमा खत्म होने से चार दिन पहले लोकसभा में संबंधित घोषणा की. इसके बाद ट्रस्ट को केंद्र की ओर से एक रुपये का नकद दान भी मिला, जो ट्रस्ट को मिला पहला दान है।  गृह मंत्रालय में अवर सचिव डी मु्र्मू ने सरकार की ओर से यह राशि दी। ट्रस्ट बिना किसी शर्त के दान, अनुदान, चंदा, मदद या योगदान नकद, अचल संपत्ति के तौर पर स्वीकार करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'शीर्ष अदालत के निर्देश के आधार पर मेरी सरकार ने अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थल पर विशाल और भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए एक वृहद योजना को स्वीकृति दे दी है. इसका निर्माण कार्य देखने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से एक ट्रस्ट गठित किया गया है. इस ट्रस्ट के पास राम मंदिर निर्माण और इससे जुड़े विषयों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय करने के अधिकार होंगे. ट्रस्ट का रजिस्टर्ड ऑफिस दिल्ली में होगा.'

केंद्र ने ट्रस्ट में शामिल ट्रस्टियों के नामों की घोषणा भी कर दी है. इनमें वरिष्ठ वकील के. परासरण, जगदगुरु शंकराचार्य, ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज (इलाहाबाद), जगदगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज (उडुपी के पेजावर मठ से), युगपुरुष परमानंद जी महाराज (हरिद्वार), स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज (पुणे) और विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र (अयोध्या) शामिल हैं अयोध्या विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य वकील रहे 92 वर्षीय के परासरन को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है। 

पीएम के एलान के कुछ देर बाद ही यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक हुई। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि अयोध्या मुख्यालय से 18 किमी दूर ग्राम धानीपुर, तहसील सोहावल रौनाही थाने के 200 मीटर के पीछे पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के लिए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी।

यह जमीन लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर अयोध्या से करीब 22 किमी पहले है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को यह जमीन पांच एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए दी जा रही है। अब बोर्ड के ऊपर है कि वह इस जमीन का क्या करता है।


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