'Google' से भी ज्यादा तेज है उत्तर प्रदेश के इस सरकारी स्कूल के बच्चों का दिमाग

प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा के प्रिंसिपल मनोज कुमार मिश्रा ने बातचीत में बताया कि हमारे स्कूल में 115 बच्चे कुल पढ़ते है. जिसमें 60 लड़कियां और 55 लड़के है.

Update: 2019-08-31 03:01 GMT

आमतौर पर सरकारी स्कूलों का नाम आते ही लोगों के जेहन में नकारात्मक विचार आता हैं, लेकिन गोंडा जिले के इस सरकारी स्कूल में प्रतिभाओं का समुद्र हैं. जहां के बच्चे किसी 'गुगल' से कम नहीं है. दरअसल प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा की आज अपनी एक अलग पहचान हैं. बता दें कि एशिया महाद्वीप के बारे में बच्चों का ज्ञान गूगल से भी तेज है. कक्षा पांच की छात्रा सुप्रिया वर्मा बिना रुके 100 तक का पहाड़ा आसानी से सुना देती है.

बच्चों के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज

वहीं कक्षा चार की छात्रा अंशिका मिश्रा ने भारत के सभी जिलों का नाम 6 मिनट 26 सेकेंड में सुना कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और एशिया बुक आफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकी है. सुप्रिया, अंजलि, अंशिका, बबली और आरती तो एक बानगी है, तकरीबन हर क्लास में पढ़ने वाला लड़का-लड़की का ज्ञान गूगल से कम नहीं है. 




4 लड़कियां एक्स्ट्रा ब्रिलियंट

प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा के प्रिंसिपल मनोज कुमार मिश्रा ने बातचीत में बताया कि हमारे स्कूल में 115 बच्चे कुल पढ़ते है. जिसमें 60 लड़कियां और 55 लड़के है. वहीं 4 लड़कियां एक्स्ट्रा ब्रिलियंट हैं. जिनके नाम सुप्रिया कक्षा-5, अंशिका कक्षा-4, बबली कक्षा-1 और अंजलि जो अपनी बहन आरती के साथ आती हैं. मिश्रा बताते हैं कि अंशिका मिश्रा ने जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के सभी राज्यों के नाम और उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के नाम को 6 मिनट 26 सेकंड में सुनाकर उपलब्धि हासिल की थी. इस उपलब्धि से अंशिका मिश्रा का चयन इंडिया स्टार आइकन और इंडिया बुक आफ रिकार्डस मे शामिल हो चुका हैं.

योगा में भी बनाई पहचान

मनोज कुमार मिश्रा कहते हैं कि भीखमपुरवा प्राथमिक विद्यालय के बच्चे जल्द ही योगा में भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने जा रहे है. उन्होंने कहा कि चित्रकारी में भी बच्चे कई प्रतियोगिता में नाम रोशन कर चुके है. वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी है जो गायन के क्षेत्र में काम रहे है. हमारे यहां के बच्चे काफी हौनहार है. सुबह 8 बजे से 2 बजे तक बच्चे पूरी लगन और मेहनत से पढ़ाई में रुचि लेते है. जिसका नतीजा आज सबके सामने है. विद्यालय में सभी छात्र छात्राओं शिक्षा की अच्छी गुणवत्ता के साथ समय समय पर सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन होते रहते है.

ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से

मिश्रा ने बताया कि ग्रामीण परिवेश और गरीब परिवार से सम्बंध रखने वाली सुप्रिया अभी महज 10 साल की है. वह पढ़ने लिखने में काफी तेज और निपुण है. जहां अच्छे- अच्छे कान्वेंट स्कूलों के बच्चे 15 और 20 तक के पहाड़े ठीक से नही सुना पाते, वही उनके स्कूल की यह छात्रा 100 तक का पहाड़ा धुंआधार सुनाती है. उससे बीच की किसी भी संख्या का पहाड़ा कही से भी सुना जा सकता है. सुप्रिया के पिता ट्रक ड्राइवर हैं और किसी तरह घर का खर्च चलाते है. बता दें कि गोंडा का भीखमपुरवा प्राथमिक विद्यालय शिक्षा क्षेत्र में देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. इस विद्यालय में पढ़ रहे अनेक बच्चे काफी तेज है.

Tags:    

Similar News