आखिरकार कफील खान बेगुनाह साबित हुआ

*यूपी राज्य सरकार ने 15 अप्रैल 2019 को जांच अधिकारी द्वारा दाखिल की गई जांच रिपोर्ट को मान लिया है।*

Update: 2021-08-08 17:31 GMT

*यूपी राज्य सरकार ने 15 अप्रैल 2019 को जांच अधिकारी द्वारा दाखिल की गई जांच रिपोर्ट को मान लिया है।*

*उस रिपोर्ट में डॉ कफील खान को निर्दोष बताया गया था।*

*जल्द खत्म हो सकता है कफील खान का निलंबन।*

मामले का पूरा विवरण

उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय में लिखित में पुनः जाँच जो 24.2.2020 को प्रारम्भ की थी उसको वापस ले लिया है और जो जांच अधिकारी मुख्य सचिव श्री हिमांशु कुमार ने 15/04/19 को जांच का निष्कर्ष निकाला था उस को ही स्वीकार कर लिया है जिसमें जांच अधिकारी ने कहा था

1- डॉक्टर कफ़ील खान सबसे जूनियर डॉक्टर थे । बी॰आर॰डी॰ मेडिकल कॉलेज में प्रोबेशन पर 08/08/16 को उनकी नियुक्ति हुई थी |

2- 10/08/17 को छुट्टी पर होने के बावजूद वह निर्दोष बच्चों की जान बचाने के लिए बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज गोरखपुर पहुंचे और अपनी टीम के साथ, उन 54 घंटों में 500 सिलेंडरों की व्यवस्था करने में कामयाब रहे ।

3. उन्होंने उस भयावह रात को 26 लोगों को फोन किया था ।

पूछताछ ने इस बात पर भी सहमति जताई है कि उन्होंने अपनी पूरी क्षमता से हर संभव प्रयास किया था जिसमें बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज के सभी अधिकारियों के साथ किए गए फोन कॉल भी शामिल थे ।

4- डॉक्टर कफ़ील का भ्रष्टाचार में संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है |

5- वह ऑक्सीजन आपूर्ति के भुगतान / आदेश / निविदा / रख-रखाव के लिए जिम्मेदार नहीं थे |

6- वह इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रमुख नहीं थे |

7- इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वह 08/08/16 के बाद निजी प्रैक्टिस कर रहे थे |

8- चिकित्सकीय लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप निराधार थे (बलहीन और असंगत) |

न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा 10.08.2021 तक यह बताने की लिए कहा है कि डॉक्टर कफ़ील खान को 4 साल से अधिक समय से निलम्बित क्यों रखा गया है हालाँकि बाक़ी लोग जिनको बी0आर0डी0 ऑक्सिजन त्रासदी के बाद निलम्बित किया गया था जिसमें डॉक्टर राजीव मिश्रा पूर्व प्रधानाचार्य, डॉक्टर सतीश ऑक्सिजन प्रभारी और अन्य क्लर्क को बहाल कर दिया गया है सिवाय डॉक्टर कफ़ील खान के ।

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