ईमानदारी का मिला ईनाम, गोरखपुर से चार बार विधायक रहे डॉ राधामोहनदास अग्रवाल को बनाया राज्यसभा प्रत्याशी, जानिए कौन हैं डॉ राधामोहनदास?
डॉ राधामोहनदास हमेशा से ही सादगीपूर्ण जीवन जीने में विश्वास रखते हैं।;
गोरखपुर यूं तो राजनीति का गढ़ कहा जाता है, यहां पर एक से बढ़कर एक राजनीतिज्ञ पले बढ़े और राजनीति में अपना नाम कमाएं वो चाहे महंत दिग्विजयनाथ रहे हों, अवैधनाथ रहे हों, हरिशंकर तिवारी हों या योगी आदित्यनाथ।
इन सबके बीच जो एक नाम उभरकर सामने आया वह नाम था डॉ राधामोहनदास अग्रवाल का , डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल ईमानदारी का दूसरा नाम है। गोरखपुर सदर से चार बार के विधायक रहे डॉ RMD सादगी पूर्ण जीवन जीने में विश्वास करते हैं। आजके राजनेता जहां बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं, लग्जरी लाइफ स्टाइल जीने में विश्वास करते हैं तो वहीं डॉ RMD गोरखपुर के मुहल्लों में कभी साइकिल, कभी रिक्शा तो कभी अपनी एक मात्र गाड़ी मारुति से घूमते दिख जायेंगे।
जनता के दुःख को अपना दुख समझने वाले डॉ RMD हमेशा से ही लोगों की मदद करते दिख जायेंगे। कभी खराब पड़े ट्रक को धक्का देना हुआ तो कभी नाले में उतरकर उसको साफ करना हुआ आदि बहुत से ऐसे काम हैं जीनको करने में कभी उनको झिझक महसूस नहीं हुई।
आइए जानते हैं डा राधामोहनदास अग्रवाल के व्यक्तिगत और राजनीतिक कैरियर के बारे में
अग्रवाल का जन्म 2 अक्टूबर 1956 को गोरखपुर में हुआ था। उन्होंने 20 जनवरी 1988 को रागिनी अग्रवाल से शादी की, जिनसे उनकी एक बेटी है। वह एक चिकित्सक है। अग्रवाल ने 1976 में एमबीबीएस और 1981 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बाल रोग में एमडी किया ।
अग्रवाल का राजनीतिक सफर कॉलेज के दिनों से ही शुरू हो गया था, कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए और फिर बाद में छात्र राजनीति में शामिल हो गए। वह 1974 में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और बाद में "बीएचयू टीचर्स एसोसिएशन" के सचिव चुने गए। फिर उन्हें पेशे से "फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स यूनियन्स" का महासचिव चुना गया।
उनकी राजनीतिक गतिविधियाँ 1998 में शुरू हुईं, जब गोरक्षपीठ के तत्कालीन उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ के निमंत्रण पर । वह गोरखपुर शहरी (विधानसभा क्षेत्र) के उनके चुनाव संयोजक बने , जब योगी पहली बार गोरखपुर से भाजपा सांसद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे । वे हिंदू महासभा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की 14वीं विधान सभा (2002) में गोरखपुर शहरी (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) से विधायक चुने गए । उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रमोद कुमार टेकरीवाल को 18,448 मतों के अंतर से हराया।
2007 के चुनावों से पहले, वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उत्तर प्रदेश की 15 वीं विधानसभा (2007) के चुनाव में, उन्होंने फिर से गोरखपुर शहरी (विधानसभा क्षेत्र) से चुनाव लड़ा और भानु प्रकाश मिश्रा ( समाजवादी पार्टी ) को 22,392 मतों के अंतर से हराकर विधायक चुने गए।
इसके बाद 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में बंपर वोटों से जीत दर्ज कर अपना लोहा मनवाया। लेकिन 2022 के चुनाव में उनका टिकट काटकर योगी आदित्यनाथ को उम्मीदवार बनाया गया । पार्टी के इस निर्णय का स्वागत करते हुए डॉ RMD ने योगी के पक्ष में जमकर प्रचार किया और उन्हें एक बड़ी जीत दिलाने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
आज जहां उनको राज्यसभा के लिए प्रत्याशी चुना गया है। यह केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि उनके चाहने वालों के लिए भी गर्व की बात है कि एक ईमानदार व्यक्तित्व को उसके ईमानदारी का सुखद परिणाम मिला।