बेहमई नरसंहार: 6 जनवरी को आएगा फैसला, फूलन देवी ने 20 लोगों को मारी थी गोली?

डकैत से सांसद बनीं फूलन देवी ने 1981 में बेहमई में 20 लोगों को गोलियों से भून डाला था। कानपुर की एक स्थानीय अदालत 6 जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी।

Update: 2019-12-26 05:29 GMT

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में साल 1981 में हुआ बेहमई नरसंहार केस पिछले 39 सालों से चल रहा है। अब कानपुर का एक ट्रायल कोर्ट 6 जनवरी को इस केस में फैसला सुनाने जा रहा है। आरोप है कि डकैत से सांसद तक का सफर करने वाली फूलन देवी ने 14 फरवरी 1981 को 20 लोगों को लाइन में खड़ा करके उनको गोली मार दी थी।

जानकारी के मुताबिक, 20 में से 17 लोग ठाकुर जाति के थे। बताया जाता है कि फूलन देवी ने अपने साथ हुए गैंगरेप के बदले के रूप में इस घटना को अंजाम दिया था। इसी हत्याकांड का केस पिछले 39 सालों से चल रहा है। सरकार वकील ने इस मामले में बताया है कि ट्रायल के दौरान ही फूलन देवी समेत 12 डकैतों की मौत हो चुकी है।

2001 में शेर सिंह राणा ने कर दी थी फूलन देवी की हत्या

बेहमई कांड के बाद बाद फूलन देवी ने मध्य प्रदेश पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। मीरजापुर से लोकसभा की सांसद चुने जाने के पहले वह काफी दिनों तक ग्वालियर और जबलपुर जेल में रहीं। साल 2001 में शेर सिंह राणा नाम के व्यक्ति ने दिल्ली में फूलन देवी के घर के बाहर ही उनकी हत्या कर दी थी।

इस हत्‍याकांड में मारे गए लोगों की विधवाएं न्‍याय की बाट देखती रहीं। इनमें से आज महज 8 ही जीवित रह गई हैं। ये भी किसी तरह जानवरों को पाल कर अपना जीवनयापन कर रही हैं। उनसे विधवा पेंशन का वादा किया गया था लेकिन वह वादा ही रहा। गांव में बिजली कुछ समय ही आती है, रात में गांव अंधेरे में डूब जाता है। नजदीकी बस स्‍टैंड यहां से 14 किलोमीटर दूर है। प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र तक जाने में करीब दो घंटे लग‍ते हैं। 300 घरों के इस गांव में रह रही इन विधवाओं के पास गरीबी में जीने के अलावा कोई और रास्‍ता नहीं बचा।

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