कानपुर कांड की असली वजह बना छह बीघा जमीन का झगड़ा, लेकिन घटना के बाद से विकास दुबे की शिकायत करने वाला फरियादी हुआ गायब

कानपुर के बिकरू गांव की हिंसक घटना के बाद गैंगस्टर विकास दुबे की शिकायत करने वाला राहुल तिवारी परिवार समेत लापता है.

Update: 2020-07-06 04:11 GMT

कानपुर में कुख्यात अपराधी विकास दुबे और पारिवारिक बहनोई राहुल तिवारी के बीच ग्राम पंचायत की 6 बीघा जमीन के विवाद के चलते बिकरू गांव में इस तरह की दिल दहला देने वाली घटना देखने के मिली जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. इस घटना के बाद गैंगस्टर विकास दुबे की शिकायत करने वाला राहुल तिवारी परिवार समेत लापता है.

मोहनी निवादा गांव का रहने वाला राहुल तिवारी ने घनश्यामपुर ग्राम पंचायत की ग्राम पंचायत की 6 बीघा ज़मीन को लेकर चल रहे विवाद के चलते दुबे के खिलाफ अपहरण का प्रयास, जानलेवा हमले की शिकायत चौबेपुर थाने में की थी. 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के एक दिन पहले तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी जांच के लिए विकास दुबे के पास गए थे. विकास दुबे ने अपने घर पर थानाध्यक्ष के साथ मारपीट की और उनपर बंदूक भी तानी.

हालांकि अपने साथ हुई बदसलूकी की घटना की जानकारी विनय तिवारी ने वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी. विनय तिवारी पर पुलिस रेड से पहले विकास दुबे को मुखबरी करने के शक के आरोप में निलंबित भी किया गया है. एसटीएफ उनसे लगातार पूछताछ कर रही है.

वहीं कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि घटना के बाद से शिकायतकर्ता राहुल तिवारी भी अपने परिवार के साथ लापता है. उसकी तलाश भी की जा रही है. साथ ही मामले में संदिग्ध जितने भी लोग हैं, जिनके खिलाफ केस दर्ज है उनकी तलाश के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है.

हालांकि कानपुर पुलिस में सूत्रों ने बताया कि राहुल तिवारी और उसके परिवार को पुलिस की देखरेख में एक सुरक्षित स्थान पर रखा गया है ताकि 8 पुलिसवालों की निर्मम हत्या करने वाला विकास दुबे और उसके गुर्गे उसे कोई नुकसान न पहुंचा सकें.

शिकायत की जांच करने गई पुलिस पर हमला

बता दें कि विकास दुबे ने यह खूनी साजिश राहुल तिवारी की उस एफआईआर के बाद रची, जो गुरुवार को चौबेपुर थाने में दर्ज कराई गई थी. विकास दुबे समेत उसके तीनों भाइयों की हिस्ट्रीशीट है. इस खूनी खेल के पीछे वजह बनी राहुल की एफआईआर. उसी की शिकायत पर पुलिस जांच के लिए विकास दुबे के गांव बिकरू गई थी.

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद पुलिस जब उसके गांव में गई थी, तो जेसीबी मशीन लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया था. जैसे ही पुलिसकर्मी सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में पैदल आगे बढ़े तो विकास के गुर्गों ने तीन दिशाओं से उन पर फायरिंग शुरू कर दी थी. इस हमले में यूपी पुलिस के सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए.

खूनी तांडव

अब तक की जानकारी के मुताबिक पुलिस की करीब 22 लोगों की टीम जब सीओ के नेतृत्व में विकास दुबे के घर पहुंची तो रात के करीब 12 बज रहे थे. हत्याओं का ये खूनी तांडव करीब एक घंटे तक चला. 1 बजकर 20 मिनट पर पुलिस की दूसरी टीम जब गांव पहुंची तो आठ पुलिसवालों की जान मौक़े पर ही जा चुकी थी.

Tags:    

Similar News