IAS Ritu Maheshwari : रितु माहेश्वरी को सुप्रीमकोर्ट से बड़ा झटका, पुलिस कस्टडी में ही होगी पेशी, अधिकारियों में मचा हड़कंप
नोएडा. आईएएस और आईपीएस अधिकारियों द्वारा लगातार कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी दिखाते हुए, नोएडा ऑथोरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस के खिलाफ सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरक़रार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसमें, उन्होंने अवमानना नोटिस से राहत की अपील की थी. कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि रितु माहेश्वरी को कस्टड में लेकर हाईकोर्ट में पेश करे.\
गौरतलब है कि नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु महेश्वरीको इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने समय से उपस्थित ना होना भारी पड़ गया है. एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीईओ को पुलिस कस्टडी में लेकर अदालत में पेश करने का आदेश दिया था. इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने गौतमबुद्ध नगर के CJM को आदेश का अनुपालन करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि "जब सुनवाई का समय सुबह 10 बजे का है और आप साढ़े दस बजे की फ्लाईट पकड़ रही है. ये कोर्ट आपकी सहूलियत के हिसाब से नहीं चलता."
दरअसल, सुप्रीम ने कहा कि नोएडा की सीईओ रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का यह पर्याप्त आधार है. अदालत में कहा, रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाता है. गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इसका पालन करवाएंगे. मामले की अगली सुनवाई 13 मई 2022 को होगी. उस दिन नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी को पुलिस कस्टडी में अदालत के सामने पेश किया जाए.
बता दें कि रितु महेश्वरी को हाईकोर्ट ने 4 मई की सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया था. अदालत ने विगत 28 अप्रैल को सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 4 मई को होगी. उस दिन नोएडा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी खुद अदालत में मौजूद रहेंगी. दरअसल, 28 अप्रैल को हुई सुनवाई के दिन भी रितु महेश्वरी अदालत में हाजिर नहीं हुई थीं. अब जब गुरुवार को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो नोएडा अथॉरिटी के वकील रविंद्र श्रीवास्तव अदालत में मौजूद थे. उन्होंने बताया कि रितु माहेश्वरी ने सुबह 10 बजे की फ्लाइट पकड़ी है. इस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की और कहा कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला बनता है. इस आदेश के खिलाफ रितु माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली.
नोएडा के सेक्टर-82 में प्राधिकरण ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लॉज़ के तहत भूमि अधिग्रहण किया था, जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी. वर्ष 1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अर्जेंसी क्लॉज के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. मनोरमा कुच्छल को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश प्राधिकरण को सुनाया था.