अमित शाह की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे पहली बार के ये सांसद , टिकिट कटने का खतरा मंडरा रहा है

Update: 2019-03-04 12:07 GMT

शादाब रिजवी, मेरठ

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह की कसौटी पर पहली बार जीते कई सांसद खरे नहीं उतरे हैं। ये सांसद पार्टी के प्लान के मुताबिक जनता के दिल में पूरी तरह जगह नहीं बना सके हैं। क्षेत्र में भी उनका प्रदर्शन कमजोर आंका गया। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों नमो एप के जरिए कार्यकर्ताओं से सीधे सांसदों के बारे में फीडबैक लिया था। ऐसे सांसदों के टिकट पर खतरा मंडराने की चर्चा की जा रही है।

बीजेपी के एक प्रदेश पदाधिकारी के मुताबिक, अमित शाह के निर्देश पर तैयार रिपोर्ट में पहली बार सांसद बने कई नेताओं का प्रदर्शन कमजोर आंका गया है। दरअसल, पार्टी की तरफ से प्रदेश के सभी सांसदों के कामकाज का फीडबैक जुटाया गया है। कई बिंदुओं पर उनके कामकाज का आकलन किया गया। सांसद की क्षेत्र में मौजूदगी से लेकर संसद में उनके प्रदर्शन को आंकने का पैमाना बनाया गया। शाह की इस परीक्षा में प्रदेश में पहली बार चुने गए कई सांसद पास नहीं हो सके। उस दौरान भी कई सांसदों के जनता से दूरी बनाने की बात सामने आई थी।

तीन रिपोर्टें हुईं तैयार

जिला संगठन स्तर से भी कई सांसदों के खिलाफ रिपोर्ट हाईकमान के पास गई है। एक रिपोर्ट लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों से लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है। तीसरी रिपोर्ट एक स्वतंत्र एजेंसी ने तैयार की है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन तीनों रिपोर्ट्स के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी कार्यकर्ताओं से फीडबैक जुटाया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कसौटी पर खरे नहीं उतरने वाले नए कुछ सांसदों के टिकट पर खतरा है।

वेस्ट यूपी में ज्यादातर नए सांसद

वेस्ट यूपी की बात करें तो यहां ज्यादातर सासंद पहली बार चुने गए हैं। बागपत से पूर्व पुलिस अधिकारी सत्यपाल सिंह, मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान, सहारनपुर से राघव लखनपाल, बिजनौर से भारतेंदु सिंह, अमरोहा से कंवर सिंह तंवर, बुलंदशहर से भोला सिंह, गौतमबुद्धनगर से डॉ महेश शर्मा, गाजियाबाद से पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह, एटा से पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पुत्र राजबीर सिंह राजू भैया, अलीगढ़ से सतीश गौतम, नगीना से यशवंत सिंह आदि पहली बार के सांसद हैं। इनमें कई पर पार्टी में गुटबंदी को बढ़ावा देने, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने और क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कराने के आरोप लगते रहे हैं। इसलिए वेस्ट यूपी के पहली बार के कई सांसदों को टिकट हासिल करने में मशक्कत करनी पड़ सकती है। 

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