मुजफ्फरनगर दंगे के गवाह के एनकाउंटर करने का क्यों लगा यूपी पुलिस पर आरोप

Update: 2019-06-23 11:04 GMT

मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना तहसील के दंगा पीड़ित कैम्प में रहने वाले नफेदीन का आरोप है कि पुलिस उनके बेटे इकराम का एनकाउंटर करना चाहती है. क्योंकि इकराम मुजफ्फरनगर दंगे में आगजनी और खुद नफेदीन हत्या के एक मामले में गवाह है. इसी के चलते 12 जून को घर में घुसकर इकराम पर हमला किया गया था. लगातार इकराम और नफेदीन पर गवाही से मुकरने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

सामाजिक संस्था रिहाई मंच के राजीव यादव का कहना है, "हमने पीड़ित परिवार से मुलाकात की. इकराम के पिता नफेदीन का आरोप है कि 12 जून को कुछ पुलिसकर्मी सादा वर्दी में घर में घुस आए. उसमे से एक नितिन नाम का सिपाही भी था.

ये लोग घर में मौजूद इकराम को घसीटकर ले जाने लगे. जब विरोध किया तो इकराम सहित घर की महिलाओं के साथ भी मारपीट की गई. इसी दौरान दो-तीन वर्दी वाले भी आ गए. इकराम पर तीन गोली चलाई गईं. 25 जून को इकराम की बेटी का निकाह है. घर में दहशत का माहौल है."

इस बारे में राजीव का कहना है, "2013 में हुए दंगे में गांव मुहम्मदपुर रायसिंह के ही रहीसउद्दीन की हत्या हो गई थी. हत्या और आगजनी के मामले में इकराम और उसके पिता नफेदीन गवाह हैं. 24 जून को इस मामले की सुनवाई और गवाही होनी है. फिलहाल इकराम और नफेदीन का परिवार बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र में एक दंगा पीड़ित विस्थापित कैम्प में रह रहा है.

हत्या और आगजनी का आरोप फेरु, करन, संहसर, मदन, प्रवीण, विजय, संजीव, विनोद, प्रवीण आदि पर लगा है. पिछले 6-7 महीने से इकराम और उसके पिता को गवाही से मुकरने के लिए लाखों रुपये का लालच दिया जा रहा है. इस हत्या के कई गवाह पीछे हट चुके हैं. लेकिन जब इकराम और उसके पिता नहीं मानें तो अब इस तरह से दबाव बनाया जा रहा है.

एक विधायक आरोपियों को बचाने के लिए ये साजिश रच रहा है. इकराम की पत्नी के अनुसार 17 जून की शाम को पुलिस वाले दोबारा आए. कहने लगे वो पुलिस पर हुए हमले की जांच करने आए हैं."

राजीव ने बताया कि सोशल मीडिया पर घटना के संबंध में एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. जिसमें इकराम को कुछ पुलिस वाले पीटते हुए नज़र आ रहे हैं. हाथ में पिस्टल भी है. साथ ही ये आवाज़ भी आ रही है कि इसे सीओ साहब बुला रहे हैं. जबकि इकराम और उसके पिता पर किसी भी तरह का कोई छोटा या बड़ा मुकदमा दर्ज नहीं है.

इस बारे में सीओ बुढ़ाना विजय प्रकाश का कहना है, "एक हिस्ट्रीशीटर राजू उर्फ रियाजुद्दीन के इकराम के घर में होने की सूचना पुलिस को मिली थी. जब पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए इकराम के घर पर दबिश दी तो इकराम और उसके सहयोगियों ने पुलिस के साथ अभद्रता, मारपीट कर एक पुलिस कर्मी को घायल कर दिया.

इस सम्बंध में पुलिस ने इकराम और अन्य के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस मुकदमे से बचने के लिए इकराम ने मामले को तूल देने की कोशिश की. अपने आप को दंगा पीड़ित और दंगे के एक मामले में गवाह बताते हुए रालोद कार्यकर्ताओ के साथ थाने पर विरोध-प्रदर्शन कराया. लेकिन पुलिस की जांच में पाया गया कि इकराम किसी भी दंगे से जुड़े मामले में गवाह नही हैं."

इकराम को बुलाने गए थे या हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने

सीओ विजय प्रकाश का कहना है कि उनके सिपाही एक हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने गए थे. वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में बुढ़ाना कोतवाली के सिपाही बवाल ज्यादा बढ़ने पर ये कहते हुए सुने जा सकते हैं कि इकराम को वो इसलिए ले जा रहे हैं, क्योंकि उसे सीओ साहब ने बुलाया है.

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