एडिशनल कमिश्नर IRS अंजनी कुमार पांडे ने इस्तीफा दिया,अपने खुले पत्र में इस्तीफे का कारण बताते हुए लाखों प्रतियोगियों से कही यह बात

Additional Commissioner IRS Anjani Kumar Pandey resigned ​

Update: 2024-01-15 08:31 GMT

शशांक मिश्रा

यूपीएससी देश की सबसे बड़ी परीक्षा जिसका नाम लेते ही लाखों सपना लाखों युवाओं की मस्तिष्क में उभरने लगते हैं जिस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए प्रतियोगी छात्र दिन-रात एक कर देते हैं ढेरो त्याग करते हैं उस सेवा के एक अधिकारी ने एक झटके में इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है ! अपने लेख ,विचार से हजारों युवाओं को प्रेरित,मार्गदर्शन करने वाले 2010 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के तेज तर्रार अधिकारी अंजनी कुमार पांडे ने इस्तीफा दे दिया है उन्होंने अपने खुले पत्र में जीवन में ऊंचे लक्ष्य हासिल करने की इच्छा जताई है। उनका लक्ष्य यूपीएससी छात्रों का मार्गदर्शन करना और सामाजिक क्षेत्र में काम करके अपने देशवासियों की सेवा करना है।

उल्लेखनीय है कि अंजनी कुमार पांडे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और यूपीएससी उम्मीदवारों और छात्र समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।उन्होंने अपने खुले पत्र में लाखों युवाओं को नया नजरिया प्रदान किया है इस सेवा के आगे जहां और भी है उन्होंने अपने पत्र में कहा कि भारतीय राजस्व सेवा एक खूबसूरत अध्याय का समापन ... और उत्तरायण के साथ आशा का एक नया अध्याय, आगे का सफर नए लक्ष्य की ओर.....

एक उम्र बीत चुकी है। आंखों में आज कुछ है तो गंगा का मैदान,गंगा की धवल किरणों पर चमचमाती हुई सूर्य की किरणें,दूर एक बिंदु पर मिलती जगत माता गंगा और यमुना की धारा। कितनी दूर आ गया हूं चलते चलते, बहुत कुछ पीछे भी रह गया है। हमेशा की तरह आज भी अगर कुछ साथ है तो वरदायिनी गंगा मां का आशीर्वाद। प्रयाग की रज आज भी मेरी एक एक श्वास में समाहित है। मैंने बहुत लंबा सफर तय किया, हां एक बहुत लंबा सफर, और इस सफर में धूप और छांव के नीचे मैं जिंदगी की किताब लिख रहा हूँ। एक मामूली सी सड़क पर चलने वाला मैं एक आम सा लड़का जो जिंदगी की दौड़ में कछुए की तरह चलता रहा क्योंकि मैंने अपना लक्ष्य तय कर रखा था। वही लक्ष्य जो दिल्ली के राजेंद्र नगर,मुखर्जी नगर,इलाहाबाद के कटरा से लेकर देश के कई भागों में कई युवा देखते हैं, यूपीएससी को पास करने का लक्ष्य! यह तो कड़ी मेहनत और भाग्य की लड़ाई है।

मैंने कड़ी मेहनत की और भाग्य की लकीरों का फैसला मेरे पक्ष में रहा और माता पिता परमात्मा की कृपा से मैंने यूपीएससी की परीक्षा पास की, अंततः 2010 में मैं भारतीय राजस्व सेवा का अधिकारी बना। ईश्वर के द्वारा प्रदत्त आशीष हमेशा मेरे साथ रहा,गंगा मां का हाथ हमेशा मेरे सिर पर रहा, प्रयाग की तपोस्थली से ही मैंने ऊंची उड़ान भरने का संकल्प लिया था। जिंदगी के कई साल बीत चुके हैं,आज भी मुझे मेरे हौसलों की वह पहली उड़ान याद आती है जो मुझे प्रयाग के एक मध्यमवर्गीय परिवार से दिल्ली के धौलपुर हाउस यूपीएससी भवन तक उड़ा लाई थी। जगतनियंता का आशीष हमेशा मेरे साथ रहा और मेरी हमेशा से यह कोशिश रही है कि कई नन्हे परिंदे जो मेरी ही तरह अपनी मंजिल को पाना चाहते हैं,वे अपने पंख खोलें,खुद पर विश्वास रखें,कड़ी मेहनत के साथ बस वे बढ़ चलें अपने सपनों की ओर,और जो दूरी मैंने तय की वही वो भी कर सकें इसके लिए मैं हमेशा जिंदगी के तमाम मोड़ पर भी उन्हें प्रेरित करता रहा। उम्मीद है एक दिन सब अपनी अपनी मंजिल तक पहुंचेंगे,अथवा वहां तक जहां के लिए जगत नियंता ने उनका सृजन कर रखा है।

... ज्यों ज्यों उत्तर में आदित्य देव का आगमन हो रहा है,आशा की नई कोपले और सृजन के नए अंकुर फूटने को हैं। धन्यवाद के सिवा सृष्टि निर्माता के चरणकमलों में मैं भला और क्या अर्पित कर सकता हूं। श्रद्धा के सुमन बारंबार प्रभु की असीम कृपा के समक्ष मैं भेंट कर देता हूं। फिर मानो कि सूर्य की सारी किरणें मेरे भीतर के कहीं सूने स्थल में, जो इतनी लंबी दूरी तय करते करते अपनी एक विशिष्ट जगह निर्मित कर चुकी है,वहां आ मिलती हैं और चहुँ ओर आशा के नव पुंज प्रकाशमान होकर यह संकेत दे रहे हैं कि अभी तुम्हें और लक्ष्य साधने हैं,अभी और तपस्या करनी है। अभी ब्रह्माण्ड के अन्य कई बिंदुओं को स्पर्श करना है और अभी और चलना है। प्रभु उत्तरायण में आ चुके हैं और अब उनके साथ मैं भी उन्हीं की छत्रछाया के नीचे एक रोमांचक सफर शुरू करना चाहता हूं, साहसपूर्ण कारनामे करना चाहता हूं, दिव्य पुंज की ज्योति से आशान्वित होकर मैं चल पड़ा हूं एक नए लक्ष्य की ओर....

महत्तवपूर्ण सेवा का त्याग, सेवा का परिवर्तन या नयी सेवा का प्रारंभ नहीं है, महत्वपूर्ण है सेवा का स्वभाव से संयोजन। स्वभाव स्वरूप सेवा के लिए ही संक्रान्ति अर्थात्‌ संक्रमण अनिवार्य था......

एक प्रेरणादायक,ऊर्जात्मक,और प्रभु की परमसत्ता में विलीन समस्त जगत की लयबद्धता को साध कर एक छत्र उस परमाधीश के आशीष स्वरूप ब्रह्माण्ड की गतियों को शब्दों में पिरोते हुए एक अपने इस छोटे से जीवन को एक लंबा विस्तार देने की दिशा में ....

भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते ।

तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये ॥

मकरसंक्रांतिशुभाशया:।

- अंजनी कुमार पांडेय भारतीय राजस्व सेवा,( 2010- 2023)

Tags:    

Similar News