प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों के ट्रांसफर को लेकर सुनाया इलाहबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला, शिक्षकों में मचा हड़कंप

Allahabad High Court gives big decision regarding transfer of primary school teachers, creates panic among teachers

Update: 2024-01-14 08:40 GMT

उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के एक से दूसरे जिले में ट्रांसफर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश आया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शिक्षकों को अपने मनपसंद जिले में ट्रांसफर पाने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। ट्रांसफर नीति का फैसला प्रशासनिक होता है। यह कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

ट्रांसफर प्रक्रिया मूल अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रांसफर प्रक्रिया के मूल अधिकार में शामिल नहीं होने की वजह से अदालत इस मामले में सीधे तौर पर दखल नहीं दे सकती। अदालत ने कहा कि जब तक किसी मामले में मनमानी न हो, तब तक सीधे तौर पर दखल देना न्यायसंगत नहीं है। उच्च न्यायालय ने इसी आधार पर कई शिक्षकों द्वारा दाखिल की गई चारों याचिकाओं को खारिज कर दिया। यह सभी शिक्षक प्रमोट होकर हेड मास्टर हो गए थे।

कामकाज पर पड़ेगा प्रभाव

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रमोशन के आधार पर सभी शिक्षकों का ट्रांसफर निरस्त कर दिया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता शिक्षक ऐसे जिलों में ट्रांसफर होकर जा रहे हैं, जहां इन्हीं के बैच के कई दूसरे असिस्टेंट अध्यापक पहले से काम कर रहे हैं। यदि इनका ट्रांसफर किया गया तो उन जिलों में असहज स्थिति पैदा हो सकती है।

सहकर्मी के साथ असामंजस्य की वजह से इन अध्यापकों के कामकाज पर बूरा प्रभाव पड़ सकता है। बेसिक शिक्षा विभाग के विध्यालयों में पढ़ा रही मिथिलेश यादव, मीनाक्षी गुप्ता, श्रद्धा यादव, और विवेक श्रीवास्तव समेत 16 शिक्षकों ने याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने सभी चारों याचिकाओं को खारिज दिया।

सिंगल बेंच ने सुनाया फैसला

चारों याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने एक साथ सुनवाई की थी। अदालत ने यूपी सरकार को ट्रांसफर नीति के नियमों को और स्पष्ट करने को भी कहा है। न्यायमूर्ती सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है। यूपी सरकार ने पिछले साल 2 जून को एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर की नीति जारी की थी।

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