उन्नाव रेप पीडिता के परिजन धरने पर बैठे, सीएम योगी से मिलने मांग

Update: 2019-12-12 06:48 GMT

कानपुर: इंसाफ की मांग कर रहे उन्नाव रेप पीड़िता के परिजन उसकी कब्र के पास धरने पर बैठ गए। पीड़िता के परिजनों का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ उनसे मिलने तक नहीं आए। परिजनों ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को शव बाहर निकालने की चेतावनी दी। मौके पर पहुंचे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने पीड़ित पक्ष को समझाया कि जिला मैजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना शव निकालना अपराध है और उन्हें वापस भेज दिया।

लगातार न्याय की मांग कर रहे पीड़िता के परिजनों ने कहा कि उन्हें न तो इंसाफ मिल रहा है और न ही उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलवाया जा रहा है। बुधवार दोपहर पीड़िता के परिजन गांव से 2-3 किमी दूर खेत में बनी कब्र पर बैठकर धरना देने लगे। पुलिस का आरोप है कि परिजन कब्र खोदकर शव बाहर निकालना चाहते थे।

सूचना मिलने पर बीघापुर तहसील के एसडीएम और अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर आए। बिहार थाने के एसएचओ विकास कुमार पांडेय के अनुसार, पीड़िता के परिजन मुख्यमंत्री को गांव बुलाना चाहते हैं। पीड़िता के परिजनों को समझाया गया कि एक बार किसी को कब्र में दफनाने के बाद सिर्फ जिला मैजिस्ट्रेट के आदेश पर ही शव बाहर निकाला जा सकता है। इस कानून का उल्लंघन अपराध है और कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।

बयान देने को कर रहे राजी

मंगलवार की तरह ही बुधवार को भी पुलिस अधिकारियों ने पीड़िता के परिजनों को बयान दर्ज कराने के लिए समझाया है। हालांकि वे अब तक बयान न दर्ज कराने पर अड़े हुए हैं।

निर्वस्त्र पीएचसी पहुंची थी पीड़िता

बता दें कि 5 दिसंबर की सुबह पीड़िता को कथित तौर पर गौरा मोड़ पर जला दिया गया। वहां से 1 किमी दूर रहने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी ने बयान दिया था कि उसने लपटों में घिरी पीड़िता को कंबल दिया था। कुछ आगे जाकर पुलिस उसे लेकर अस्पताल चली गई लेकिन दूसरी तरफ सुमेरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के प्रभारी डॉ. विनय तोमर के अनुसार, मैं उस दिन सुबह ड्यूटी पर था। पुलिस ऐंबुलेंस से लेकर उसे पहुंची। वह लगभग निर्वस्त्र स्थिति में थी। थोड़े-बहुत कपड़े उसके शरीर पर चिपके थे। उसके पास कोई कंबल नहीं था।

बयान दर्ज करने के कारण रिफर में हुई देरी

बकौल डॉ. विनय तोमर, 'वह इतना अधिक जल चुकी थी कि चोटें वगैरह देखने का ज्यादा समय नहीं था। मेरी प्राथमिकता थी कि पीड़िता को जल्द से जल्द कुछ इंजेक्शन वगैरह देकर रिफर कर दिया जाए। इसके लिए मैंने ऐंबुलेंस बुलाई लेकिन बयान लेने के कारण एसएचओ ने ऐंबुलेंस लौटा दी। इसके बाद मैंने दोबारा ऐंबुलेंस बुलाई लेकिन एसडीएम को बयान लेने थे। इस कारण फिर ऐंबुलेंस लौटाई गई।'

'बहन को मारना चाहते थे'

पीड़िता की बहन का आरोप है कि बिना पूछे और सूचना दिए उनकी बहन को उन्नाव और लखनऊ भेजा गया। उसे अच्छा इलाज नहीं दिया गया। वह उसे मारना चाहते थे। पुलिस की जिस गाड़ी से परिवार के लोगों को उन्नाव भेजा गया था, वह रास्ते में खराब हो गई थी। 5 दिसंबर को दोपहर 2 बजे परिवार लखनऊ पहुंच सका था।

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