गुजरात में टिकट नहीं मिलने से नाराजगी, बागी नेताओं ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें

Update: 2022-11-13 08:11 GMT

आम आदमी पार्टी से गुजरात में गंभीर चुनौती मिलने से उबरने के लिए लगातार पीएम मोदी खुद चुनावी मैदान में डटे हुए हैं, वहीं,दूसरी तरफ चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज बीजेपी के आधा दर्जन नेता बागी हो गए है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक विधायक सहित चार पूर्व विधायक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की धमकी दी है। पार्टी के नाराज नेताओं ने कहा है कि वो अपने समर्थकों से बात करने आगे की रणनीति तय करेंगे। माना जा रहा है कि अगर ये नेताओं ने चुनावी मैदान में अपनी ताल ठोकी तो बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। इस बीच, बीजेपी के पूर्व विधायक हर्षद वसावा ने शुक्रवार को नंदोड (अनुसूचित जनजाति आरक्षित) सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल भी कर दिया।

नामांकन करने वाले नेता क्या बोले

हर्षद वसावा बीजेपी की गुजरात इकाई के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष हैं। गुजरात के कुछ इलाकों में वसावा की अच्छी-खासी पकड़ है। हर्षद वसावा की सियासी हैसियत ये है कि वो 2002 से 2007 और 2007 से 2012 तक पूर्ववर्ती राजपीपला सीट का प्रतिनिधित्व किया था। हालांकि, पार्टी ने वसावा की इस बार दरकिनार करते हुए डॉक्टर दर्शन देशमुख को टिकट दे दी। फिलहाल, नर्मदा जिले की नंदोड सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है। बताया जा रहा है कि इस घोषणा से नाखुश हर्षद वसावा ने बीजेपी में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और शुक्रवार को नंदोड सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यहां लड़ाई असली और नकली बीजेपी की है। साथ ही साथ बगावती तेवर दिखाते हुए वसावा ने कहा कि मैं उनलोगों को बेनकाब करूंगा जिन्होंने हम जैसे जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर नए लोगों को मौका दिया है। दावा किया कि मेरे क्षेत्र के लोग मेरे द्वारा किए गए कार्य के बारे में अच्छे से जानते हैं। 

नाराज नेताओं ने दिखाए बगावती तेवर

उधर, छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव को टिकट नहीं दिए जाने से नाराज बताएं जा रहे हैं। वडोदरा जिले की पादरा सीट से बीजेपी के एक अन्य पूर्व विधायक दिनेश पटेल उर्फ दीनू मामा को भी टिकट काट दिया गया है। वहीं, जूनागढ़ की केशोद सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक अरविंद लडानी ने भी टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि गुजरात में बीजेपी के सामने अपने ही नेता कितनी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। फिलहाल पार्टी के शीर्ष नेताओं की तरफ से खबर लिखने तक बागियों को मनाने जैसी कोई जानकारी नहीं मिली है।

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