पाकिस्तान के 24000 मदरसों को सऊदी अरब भेजता है 'धन की सुनामी'

Update: 2016-01-31 03:51 GMT


वॉशिंगटन
एक शीर्ष अमेरिकी सीनेटर ने कहा है कि सउदी अरब पाकिस्तान में करीब 24,000 मदरसों को आर्थिक मदद मुहैया करा रहा है और वह ‘असहिष्णुता फैलाने’ के लिए ‘धन की सुनामी’ भेज रहा है। सीनेटर क्रिस मर्फी ने कहा कि अमेरिका को सउदी अरब द्वारा कट्टरपंथी इस्लाम को प्रायोजित किए जाने पर अपनी प्रभावी मौन सहमति की स्थिति को समाप्त करने की आवश्यकता है। मर्फी ने कहा कि पाकिस्तान इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है जहां सउदी अरब से आ रहे धन का इस्तेमाल उन धार्मिक स्कूलों को मदद के लिए किया जा रहा है जो घृणा एवं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

सीनेटर क्रिस मर्फी ने इसी के साथ कहा कि अमेरिका को सऊदी अरब द्वारा कट्टरपंथी इस्लाम प्रायोजित करने पर अपनी प्रभावी मौन सहमति भी खत्म करने की जरूरत है। मर्फी ने कहा कि पाकिस्तान इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है जहां सऊदी अरब से आ रहे धन का इस्तेमाल उन धार्मिक स्कूलों को मदद के लिए किया जा रहा है जो घृणा एवं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

मर्फी ने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस को संबोधित करते हुए कहा, पाकिस्तान में 24,000 ऐसे मदरसे हैं जिनमें से हजारों को मिलने वाली आर्थिक मदद सऊदी अरब से आती है।’’ कुछ अनुमानों के मुताबिक 1960 के दशक से सऊदी अरब ने वहाबी इस्लाम के प्रसार अभियान के तहत दुनिया भर में मदरसों और मस्जिदों को 100 अरब डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद दी है।


अगर इसकी तुलना पूर्व सोवियत संघ से की जाए तो विभिन्न शोधों का अनुमान है कि उसने 1920 से 1991 के बीच अपनी साम्यवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए सात अरब डॉलर खर्च किए थे।

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