पाकिस्तान और चीन सीमा पर तैनात होगी 'आकाश मिसाइल ', हवाई घुसपैठ से मुकाबले की तैयारी

आकाश मिसाइल को 15,000 फीट की ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों में तैनात किया जाएगा

Update: 2019-10-21 15:43 GMT

पर्वतीय इलाकों में पाकिस्तान और चीन की तरफ से हवाई घुसपैठ रोकने के लिए भारतीय सेना आकाश मिसाइल तैनात करेगी। रक्षा मंत्रालय सेना के इस प्रस्ताव को मंजूरी देने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय करीब 10 हजार करोड़ रु के प्रस्ताव पर चर्चा करेगा। इस रकम से 15,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में आकाश मिसाइल सिस्टम की दो रेजिमेंट तैनात की जाएंगी।

आकाश मिसाइल की नई प्रणाली पहले से ज्यादा असरदार है। इसे लद्दाख में तैनात करने की योजना है, जहां पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमाएं इसकी जद में होंगी।

सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया, "रक्षा मंत्रालय सेना के करीब 10,000 करोड़ रु के प्रस्ताव को मंजूरी देने जा रहा है। इससे आकाश प्राइम की दो रेजिमेंट बनाई जाएंगी। यह सेना के पास पहले से मौजूद आकाश मिसाइल सिस्टम का उन्नत संस्करण है।" सेना के प्रस्ताव पर रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में चर्चा होगी। इसकी बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत के लद्दाख से लौटने के बाद बुलाई गई है।

डीआरडीओ ने तैयार की आकाश मिसाइल

आकाश मिसाइल प्रणाली को भारत में रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। अब तक सेना में यह मिसाइल बहुत सफल रही है। सेना के पास इसकी दो रेजीमेंट पहले से मौजूद हैं। अब सेना नई आकाश प्राइम की दो और रेजिमेंट शामिल करना चाहती है।

मेक इन इंडिया के तहत देश में बनी रक्षा प्रणाली को तरजीह

सेना के लिए प्रस्तावित दोनों रेजीमेंट के लिए उपकरण सप्लाई करने का ठेका विदेशी फर्मों को दिया जाना है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत आकाश मिसाइल को तरजीह देने की बात कही। इसके बाद, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने वायु सेना की सात स्क्वार्डन के लिए के लिए सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने को मंजूरी दी थी।

हाल ही में 'सूर्य लंका' नाम से हुए युद्धाभ्यास में दूसरी हवाई रक्षा प्रणालियों के साथ आकाश मिसाइल का परीक्षण किया गया था। इस दौरान आकाश ने इजराइली मिसाइल सिस्टम समेत तमाम प्रतियोगियों से बेहतर प्रदर्शन किया था। डीआरडीओ ने 25 और 27 मई को आकाश-एमके-1एस का ओडिशा के चांदीपुर से सफल परीक्षण किया था।

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