मोदी के ये प्रचारक कहाँ गए जिन्होंने खड़ा किया पांच साल अरबों का कारोबार!

Update: 2019-04-03 09:32 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार लोकसभा चुनाव के लिए रैलियों अलावा नमो एप और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए करोड़ों लोगों से सीधे जुड़ रहे हैं। वे सबको चौकीदार बनाने में लगे हैं। पिछले दस दिन में दो बार वे अलग अलग किस्म के चौकीदारों को संबोधित कर चुके हैं। मैं भी चौकीदार कहने वाले ढेर सारे लोग आ गए हैं, जिनमें ज्यादातर भाजपा के अपने नेता हैं या उसके करोड़ों कार्यकर्ताओं में से कुछ लोग हैं।

हालांकि इसमें से भी सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे कई लोग चौकीदार बनने से इनकार कर चुके हैं। इस बीच सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाली बात यह है कि पिछली बार मोदी के प्रचार में जी जान लगाने वाले कई लोग इस बार नदारद हैं। वे न तो चौकीदार बने हैं और न प्रचार में उतरे हैं।

इनमें सबसे पहला नाम भारत में सबसे तेजी से उभरते कारोबारी रामदेव का है। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने देश भर में प्रचार करके मोदी का माहौल बनाया था। रामदेव योग शिविर लगाते थे और उस बहाने मोदी के लिए प्रचार करते थे। वे सीधे सीधे चुनावी सभाएं भी करते थे पर इस बार वे ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। उलटे प्रचार से दूर भाग रहे हैं। अगली सरकार के बारे में पूछे जाने पर गोलमोल बातें कर रहे हैं। वे अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि अगली बार किसकी सरकार बनेगी। उनके साथ साथ उनके अनेक बड़े समर्थक और सिविल सोसायटी के लोग भी चुनाव प्रचार से दूर हैं।

इस बार नरेंद्र मोदी के प्रचार से नदारद दूसरा बड़ा नाम श्री श्री रविशंकर का है। आर्ट ऑफ लिविंग चलाने वाले रविशंकर पिछले चुनाव में बहुत सक्रिय थे। इस बार उनकी कोई सक्रियता नहीं है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने उनको अयोध्या मामले में मधयस्थ बना दिया। इसी बहाने वाले प्रचार से अलग हो गए। पिछले लोकसभा चुनाव में रामदेव और रविशंकर ने कई सीटों पर अपने भक्तों और चेले चपाटों को लोकसभा की टिकट दिलाई थी।

पांच साल के मोदी राज में ये दोनों किसी न किसी तरह का फायदा उठाते रहे हैं पर चुनाव से पहले ये बिल्कुल शांत हो गए हैं और उनके चेले चपाटे भी प्रचार से दूर हैं। इन दोनों के अलावा कई बड़े नेताओं जैसे यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, राम जेठमलानी आदि ने मोदी के लिए माहौल बनाने का काम किया था। पर ये सारे लोग पहले ही उनके विरोधी हो चुके हैं।

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