CAA पर बैठक से पहले ही विपक्ष को तगडा झटका,TMC, AAP और BSP कर रही विरोध फिर भी अपने इस कारण से सोनिया से किया किनारा

Update: 2020-01-13 05:41 GMT

नई दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हो रहे प्रदर्शनों और इसे लागू होने ले रोकने की रणनीति बनाने के साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों में हो रही हिंसा के मद्देनजर सोमवार को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वाम मोर्चा सहित सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है।

हालांकि नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का विरोध कर रहे विपक्षी पार्टियों की एकता में फूट पहले ही पड़ती दिख रही है; क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने विपक्ष की इस बैठक में भाग नहीं लेने का ऐलान कर चुकी हैं. इसके बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी मीटिंग में शामिल नहीं होने की बात कही. अब आम आदमी पार्टी ने भी इस बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।

कांग्रेस के नेतृत्व में बुलाई गई विपक्ष की बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, लेफ्ट, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), समाजवादी पार्टी (SP) समेत कई पार्टियां शामिल होंगी. पार्लियामेंट एनेक्सी में दोपहर 2 बजे से ये मीटिंग होगी. इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के अलावा राहुल गांधी भी मौजूद रह सकते हैं।

सूत्रों का कहना है कि सोमवार को समान विचारधारा वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक में भी CAA और NRC के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हो सकती है. नागरिकता कानून को लागू होने से रोकने के लिए रणनीति पर भी विचार किया जाएगा. इसके अलावा विपक्ष मोदी सरकार को संसद के आगामी बजट सत्र के दौरान घेरने की कोशिशों पर भी बात करेगी. विपक्षी दलों की इस बैठक के बाद कांग्रेस इस जनसंपर्क अभियान की पूरी रूपरेखा पेश कर सकती है।

मायावती ने ट्वीट कर कहा कि

जैसा कि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बसपा के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतया विश्वासघाती है। ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बसपा का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बसपा इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि वैसे भी बसपा सीएए और एनआरसी आदि के विरोध में है। केन्द्र सरकार से पुन अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले। साथ ही, जेएनयू व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।

बैठक में आम आदमी पार्टी भी नहीं होगी शामिल

नागरिकता कानून और सीएए पर बुलाई गई विपक्ष की बैठक से आम आदमी पार्टी ने भी किनारा कर लिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कोई भी नेता इस बैठक में हिस्सा नहीं लेगा।

ममता बनर्जी पहले ही जता चुकी है अपनी मंशा

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को साफ शब्दों में कहा था कि अगर जरुरत पड़ी तो वह अकेले लड़ेंगी। सदन में ही उन्होंने विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा और सीएए के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के बहिष्कार की घोषणा भी की।

बनर्जी बुधवार को ट्रेड यूनियनों के बंद के दौरान राज्य में वामपंथी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा की गई कथित हिंसा से भी नाराज हैं। बंद केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों, संशोधित नागरिकता कानून और पूरे देश में प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में आहूत किया गया था। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि बनर्जी को विपक्ष की बैठक में आने का न्योता दिया गया था, लेकिन आना, नहीं आना उन पर निर्भर करता है।

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