नागरिकता संशोधन बिल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा-'अगर सबकुछ ठीक तो विरोध क्यों', तो रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष को दिया करारा जवाब

Update: 2019-12-11 12:50 GMT

लोकसभा में पहली परीक्षा पास करने के बाद नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार की आज अग्निपरीक्षा राज्यसभा में हो रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने संशोधन बिल राज्यसभा में पेश कर दिया है और चर्चा जारी है।

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि गृह मंत्री का कहना है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं का उत्पीड़न हुआ है, लेकिन अफगानिस्तान में जितना मुस्लिम महिलाओं का उत्पीड़न हुआ है उतना किसी का नहीं हुआ है. बुर्का न पहनने पर तालिबान वाले उनको खड़ा करके सीधे मार देते थे. असम का डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी में इस वक्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है. नगालैंड और त्रिपुरा जल रहा है।

आप कह रहे हैं कि इस बिल से पूरा देश खुश है? उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. असम में सेना की टुकड़ियां तैनात की जा रही हैं. अगर सबकुछ ठीक है और लोग इस बिल से खुश हैं तो ऐसा क्यों हो रहा है।

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं गृह मंत्री से 5 से 6 बातों पर सफाई चाहता हूं. जो देशों का चयन उन्होंने किया है मेरे हिसाब से सेलेक्टिव रीजन और सेलेक्टिव रिलिजन के पीछे कारण क्या है. भूटान का धर्म क्या इस्लाम नहीं है. वो क्यों नहीं है. श्रीलंका इसमें क्यों नहीं है. नेपाल हमारा पड़ोसी देश है. ये समस्या श्रीलंका के हिंदुओं के साथ भी है. उनको क्यों नहीं जोड़ा गया।

रविशंकर प्रसाद का विपक्ष को जवाब

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्ष के कुछ लोगों का सवाल है कि क्या इस बिल को कानून मंत्री की स्वीकृति मिली है तो मैं उनको बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार में आने वाला कोई भी बिल कानून मंत्रालय की स्वीकृति लेकर ही आता है.रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संसद को नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार है. आर्टिकल-14 का हवाला देकर बिल को असंवैधानिक बताया जा रहा है जबकि ये सच्चाई नहीं है. मैं जानना चाहता हूं कि आखिर ये बिल कहां से असंवैधानिक है.रविशंकर प्रसाद ने कहा हमारा पूरा बिल कानून के अनुसार है. कोई चुनौती देगा तो हम प्रभावी दलील देंगे।


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