युवा क्रान्ति रोटी बैंक की मानवीय पहल का हो रहा है विस्तार

युवा विजय राज हजारों भूखों को खिला रहे खाना,कर रहे हैं पर्यावरण संरक्षण भी

Update: 2021-08-08 10:49 GMT

कुछ लोग सचमुच में समाज के लोगों की सेवा के लिए ही पैदा होते हैं। उनको अपने करियर की चिंता नहीं होती वे दुखियों के दुख दूर करने में ही लगे रहते हैं। ऐसे ही बिहार के छपरा के युवा इंजीनियर विजय राज हैं, जिन्होंने तीन साल के दौरान दुनिया भर के मित्रों की मदद से अनगिनत जरूरतमंदों की जिंदगी को आसान किया है। छपरा में युवा क्रान्ति रोटी बैंक और इंजीनियर विजय राज अब किसी पहचान के मुहताज नहीं हैं। बिना किसी स्वार्थ के तहेदिल से रोजाना सुबह शाम गरीबों को सम्मान पूर्वक खाना खिलाते हैं। उनके लिए कपड़े और दवाइयां का इंतजाम करते हैं। मित्रों की मदद से शहर के तालाबों और तीर्थ स्थलों की सफाई करते हैं और पेड़ लगा कर पर्यावरण संरक्षण करते हैं। गरीब की बेटियों की शादी भी कराते हैं। समाज के हित में किए गए उनके कार्यों के लिए छपरा के प्रबुद्ध और समाज सेवी लोगों सहित गरीब से गरीब लोग भी उन पर नाज़ करते हैं क्योंकि उन्होंने छपरा को अच्छे नागरिकों का शहर बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। छपरा के लोगों ने जब उनको पाटलिपुत्र सम्मान से सम्मानित किया तो अब सम्मानों की झड़ी लग गई है।

स्पेशल कवरेज न्यूज के खास मुलाकात कार्यक्रम में विजय राज कहते हैं कि वे लोगों की सेवा किसी स्वार्थ के लिए नहीं करते। उनकी कोई राजनैतिक इच्छा भी नहीं है। उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है। वे शहर के अभिभावकों और मित्रों की मदद से सब कुछ कर रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि शुरुआत कुछ मित्रों की मदद से एकदम छोटे स्तर पर की थी लेकिन बाद में मित्रों की संख्या बढ़ती चली गई तो उनके कार्यों का विस्तार भी होता चला गया है।

इंजिनियर विजय राज ने बताया कि अब खासकर भूखों को भोजन कराने का कार्यक्रम केवल छपरा तक सीमित नहीं रह गया है। इसका विस्तार पटना,रांची,मुजफ्फरपुर,भागलपुर,हाजीपुर,सिवान आदि शहरों में भी हो गया है। उनका कहना है कि हरेक आदमी को समाज के लिए सप्ताह में एक दिन या चौबीस घंटे में एक घंटा जरूर निकालना चाहिए। यह हर आदमी का दायित्व है। वे बताते हैं कि उनके कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। रोटी बैंक की शुरुआत ही महिलाओं के सहयोग से हुई है क्योंकि शुरू में महिलाएं ही भूखों के लिए घर से भोजन बना कर लाती थीं। जब काम बढ़ता गया तो एक ही जगह भोजन तैयार होने लगा है।

वे बताते हैं कि उनकी संस्था का हर वह व्यक्ति स्वयं सदस्य हो जाता है जो भूखों के लिए एक भी रोटी दे देता है। उन्हें मदद देने वालों में कई प्रवासी भारतीय भी हैं जो संस्था के कार्यों से प्रभावित होकर उनको मदद करने के लिए आगे आए हैं। विजय राज ने बताया कि अभी हाल में उनकी संस्था ने छपरा ज़िले के एक गांव को गोद लिया है ताकि वहां सर्वांगीण विकास किया जा सके। गोद लिए गांवों में बेरोजगार महिलाओं का रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण किया जाएगा फ़िर उनको किसी उद्यम से जोड़ा जाएगा। स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को शिक्षित बनाया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाए जाएंगे। महीने में एक बार स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं। खाना तो रोज खिलाया ही जा रहा है।

कोरो ना काल में अपनी गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि पहली लहर में बेकाम हो गए सैकड़ों लोगों को रोजाना सुबह शाम खाना खिलाया। उनकी अन्य दिक्कतों को भी दूर किया। दूसरी लहर में भी भूखों को खाना खिलाया गया। सबसे बड़ी जरूरत ऑक्सीजन के सिलेंडरों की आपूर्ति की पड गई थी। ऐसे समय में सौ से अधिक जरूरतमंद मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया गया। इसी दौरान संस्था ने एक एम्बुलेंस का भी इंतजाम किया है जो अब रोजाना रोगियों को अस्पताल तक पहुंचाने के काम अा रहा है।

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