कैसे बना ये यूपी कैडर का आईपीएस अधिकारी 50 का इनामीया आरोपी

Update: 2020-12-07 04:12 GMT

 यूपी में यूपी पुलिस ने पिछले करीब 45 महीनों में योगीराज में बदमाशों के खिलाफ गजब के जौहर का प्रदर्शन किया है। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी में जिला स्तर पर युवा पुलिस अफसरों पर ज्यादा भरोसा व्यक्त किया और युवा अफसरों के जोश का ही नतीजा रहा कि उनके कार्यकाल में ये युवा पुलिस अफसर अपनी वरिष्ठ नेतृत्व के तजुर्बे से सीख लेकर यूपी को 'जंगलराज' के दाग से 'रामराज्य' की संभावनाओं तक पहुंचाने में सफल रहे हैं। 45 महीनों के इस सफर में यूपी पुलिस की बंदूकों ने इनामिया बदमाशों के खिलाफ जमकर इनकाउंटर किया और आईपीएस अफसर शौर्य पुरस्कार से सम्मानित होते रहे। योगीराज में यूपी पुलिस अब तक चोर, बदमाश, डाकू और गैगस्टर को पकड़वाने पर बड़े इनाम घोषित करती नजर आई, इसके बाद इन बदमाशों का जो हाल हुआ वह भी जनता ने देखा, लेकिन आज खाकी पर बदनुमा 'दाग' बने एक इनामिया युवा आईपीएस अफसर की तलाश के लिए यूपी पुलिस ने बड़े इनाम का ऐलान किया है।

जी हां! हम बात कर रहे हैं महोबा केस में भगौड़ा घोषित और एसपी महोबा के पद से निलम्बित 2014 बैच के आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार की। 7 दिन के भीतर ही यूपी पुलिस ने मणिलाल पाटीदार पर इनाम की राशि 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी है। उनकी तलाश में पुलिस टीम उनके गृह राज्य राजस्थान और गुजरात में छापेमारी कर रही है। लोअर और जिला कोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी को ठुकरा दिया है, एंटी करप्शन की विशेष अदालत इस आईपीएस को भगौड़ा घोषित कर चुकी है, उसके घर पर कुर्की नोटिस चस्पा है और एसआईटी ने अपनी जांच में साफ क दिया है कि भ्रष्टाचार के एक बड़े सिंडीकेट को चलाने में आईपीएस मणिलाल पाटीदार की बड़ी भूमिका रही है। अब तक जिस्म पर खाकी धारण कर शान के साथ अपराधियों के पीछे जंगलों की खाक छानने वाले इस युवा आईपीएस को खाकी से ही छिपने के लिए एक अपराधी की भांति जंगलों का सहारा लेना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश के महोबा के कबरई के क्रेशर और विस्फोटक व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के मामले में भगोड़ा घोषित महोबा के पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार पर अब यूपी पुलिस की ओर से नया इनाम रखा गया है। पुलिस महानिरीक्षक ने फरार चल रहे महोबा के पूर्व पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार पर बदमाशों की तरह ही इनाम की राशि में इजाफा कर दिया है। अब मणिलाल पाटीदार पर 50 हजार रुपया इनाम कर दिया गया है। बीते हफ्ते ही 25 हजार रुपया इनाम घोषित किया गया था। इसके लिए महोबा एसपी ने शनिवार को ही आईजी को पत्र लिखकर मणिलाल पर इनाम राशि बढ़ाने की सिफारिश की थी। इस मामले के चार आरोपितों में तत्कालीन एसओ देवेंद्र और दो अन्य को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। मणिलाल पाटीदार और उनके सहयोगी सिपाही अरुण यादव फरार हैं। अरूण पर भी 25 हजार रुपये का इनाम घोषित है।

महोबा प्रकरण पूरी तरह से फिल्मी है, इसमें पुलिस और अपराधियों के बीच गठजोड़ की की एक ऐसी कहानी है, जिसने बिकरू कांड के सनसनीखेज खुलासे को भी मात दे दी है। इस प्रकरण में ऑडियो और वीडियो का एक ऐसा सैलाब आया, जिसने खाकी के लिबास में भ्रष्टाचार का खेल करने वाले कुछ अफसरों के 'गुंडाराज' का भंडाफोड़ किया। 7 सितम्बर 2020 को महोबा के क्रेशर व्यापारी इंद्रकांत द्विवेदी एक एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें इंद्रकांत भयभीत होकर जान की गुहार करते हैं। वह किसी बदमाश से बचाने की अपील नहीं करते, बल्कि एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार की दहशत की कहानी बयां करते हैं। करबई पत्थर मंडी में व्यापार करने वाले इंद्रकांत इस वीडियो में कहते हैं, कि बंद पड़े कारोबार के बावजूद भी एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार उससे 6 लाख रुपये की रंगदारी मांग रहे हैं। इसके लिए वह लगातार धमका रहे हैं। फर्जी केस में फंसाने की बात करते हैं।

इंद्रकांत यह भी कहते हैं कि उनकी हत्या कराई जा सकती है, इसके लिए वह मणिलाल पाटीदार की जिम्मेदारी ही तय करते हैं। इस वीडियो के साथ एक शिकायती पत्र इंद्रकांत ने सीएम योगी और डीजीपी को भी भेजा। अगले ही दिन 8 सितम्बर को इंद्रकांत को गोली मार दी जाती है। वह अपनी कार में लहूलुहान मिलते हैं। उनकी गर्दन पर गोली लगी थी। पुलिस इंद्रकांत को अस्पताल ले जाती है। इसके बाद यूपी में राजनीतिक हलचल तेज हुई और 9 सितम्बर को मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार को निलम्बित कर दिया गया। सीएम योगी ने इसकी जांच के लिए आईजी विजय सिंह मीणा की अगुवाई में एसआईटी गठित की। 13 सितंबर को घायल व्यापारी इंद्रकांत की रीजेंसी अस्पताल कानपुर में मौत हो गई। इसके बाद पूर्व एसपी मणिलाल, तत्कालीन एसएचओ कबरई देवेंद्र शुक्ला, इंद्रकांत के पार्टनर सुरेश सोनी, ब्रह्मदत्त और अन्य पर मृतक के भाई रविकांत की तहरीर पर आईपीसी की धारा 387 (जबरन धन वसूली), 307 (हत्या के प्रयास) और 120बी (आपराधिक साजिश) में मणिलाल पाटीदार समेत 4 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इंद्रकांत की मौत के बाद आईपीसी की धारा 307 को धारा 302 में तरमीम कर दिया गया।

सूत्रों के अनुसार महोबा में क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत हत्या भले न साबित हुई हो, लेकिन एसआईटी जांच में तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार से लेकर अन्य पुलिसकर्मियों के सिंडीकेट बनाकर भ्रष्टाचार की फसल खड़ी करने का संगीन मामला सामने आया है। एक-दो नहीं, 10 से 12 तक ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें पुलिस ने बेकसूरों को झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास किया। आईजी वाराणसी विजय सिंह मीणा की अगुवाई में एसआईटी की पड़ताल में ऐसे कई गंभीर आरोपों की पुष्टि हुई है, जबकि कुछ शिकायतों में अभी और जांच की गुंजाइश बाकी रह गयी है। एसआईटी सिंडीकेट बनाकर भ्रष्टाचार किए जाने और लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाए जाने के षड्यंत्र की अपनी एक अलग जांच रिपोर्ट डीजीपी को सौंपेगी, जिसमें महोबा के तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार समेत करीब 40 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के सिंडीकेट के रूप में काम करने के सुबूत जुटाये गये हैं। 

अब तक इस केस के दो आरोपी जेल जा चुके है। जबकि तत्कालीन एसपी महोबा रहे मणिलाल पाटीदार अब तक फरार है। सरकार लगातार उन पर इनाम बढ़ा रही है। पहले एसपी अरुण कुमार ने पच्चीस हजार का इनाम रखा उसके बाद आईजी ने उस इनाम की धनराशी बढाकर पचास हजार कर दी है।

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