देश में विदेशी विश्वविद्याल के कैंपस को खोलने का काम अंतिम चरण पर

देश में विदेशी विश्वविद्याल के कैंपस को खोलने का काम अंतिम चरण पर

Update: 2022-05-17 05:08 GMT

देश में विदेशी विश्वविद्याल के कैंपस को खोलने का काम अंतिम चरण पर

उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को अब विदेश जाने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि देश में ही उन्हें विदेश जैसी शिक्षा मिलेगी. इसके तहत देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को जहां विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है, वहीं विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस भी देश में जल्द खोलने की तैयारी है. इसे लेकर रेगुलेशन तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है जो फिलहाल अंतिम चरण में है. दुनियाभर के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ देश में कैंपस खोलने के लिए बातचीत भी शुरू हो गई है.

देश में फिलहाल कितने विदेशी विश्वविद्यालय अपने कैंपस खोलने जा रहे हैं. रेगुलेशन आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का फोकस ऐसे सभी विदेशी विश्वविद्यालयों पर है, जहां पढ़ाई के लिए भारतीय छात्र सबसे ज्यादा उत्साहित रहते हैं. मौजूदा समय में विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए हर साल करीब नौ लाख छात्र विदेश जाते हैं. जहां वे पढ़ाई और रहने-खाने आदि पर करीब 1.95 लाख करोड़ रुपये खर्च करते हैं.

यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार कहते हैं, हम उच्च शिक्षा की मौजूदा स्थिति को बदलना चाहते हैं जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेश जाते हैं और दूसरे देशों से आने वाले छात्रों की संख्या काफी कम है. मालूम हो कि देश में दूसरे देशों से भी पढ़ाई के लिए करीब 50 हजार विदेशी छात्र आते हैं जो दुनिया के 165 देशों से आते हैं. हालांकि इनमें से दो-तिहाई छात्र सिर्फ पांच-छह देशों के ही होते हैं.

सरकार इस पहल से पूरी स्थिति को बदलना चाहती है. जिसमें देश के बच्चे विदेशों में पढ़ने के लिए कम जाएं, जबकि विदेशी छात्रों को लुभाया जा सके. उल्लेखनीय है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद सरकार लगातार उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में जुटी है.इस नई नीति के तहत अपने देश के बच्चो को उच्च शिक्षा के लिए विदेश काम जाना पड़ेगा और विदेशी छात्र हमारे देश में आ के अपनी शिक्षा प्राप्त करेंगे.

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