इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को दिया तगड़ा झटका, हर फैसला लेना आपके अधिकार में नही
इलाहाबाद हाई कोर्ट से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने ओबीसी की 17 जातियों को एससी में शामिल करने के फैसले पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज कुमार सिंह से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है. कोर्ट ने सरकार के फैसले को गलत माना है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के फैसले लेने का अधिकार सरकार को नहीं था. हाई कोर्ट ने योगी सरकार से कहा कि प्रदेश सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. सिर्फ संसद ही एसटी/एससी जातियों में बदलाव करने का अधिकार है।
सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने याचिका दाखिल कर सरकार के इस शासनादेश को अवैध ठहराया था. जिस पर सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने फौरी तौर पर माना कि सरकार का फैसला गलत है और सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. सिर्फ संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है. केंद्र व राज्य सरकारों को इसका संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है.
इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का जारी हुआ था आदेश
पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में डाल दिया है. इनमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर आदि शामिल हैं. योगी सरकार ने अपने इस फैसले के बाद सभी जिलाधिकारियों को इन जातियों के परिवारों को प्रमाण दिए जाने का आदेश दे दिया था।