यूपी में अपने काले कारनामो से काली कमाई करने में जुटा कल्लू
चार नलकूप पकड़कर सेटिंग कर छोडे, अफसर भी गोरखधंधे में दे रहे साथ
( विवेक मिश्र )
फतेहपुर : योगी सरकार के अधिकारी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात भले ही करते हों मगर जैसे ही उनके अधीनस्थ का कोई भ्रष्टाचार का मामला सामने आ जाता है वह उस पर कार्रवाई करने के बजाय पर्दा डालने में पूरी ताकत झोक देते हैं। अब इसे यह भी माना जा सकता है कि कार्रवाई से विभाग के अधिकारी कहीं इसलिए न डरते हों कि कहीं उनकी कलई वह अधीनस्थ मीडिया के सामने न खोल दे। ऐसा ही मामला इन दिनों चौडगरा पावर हाउस के अभियंता कल्लूराम यादव का जनपद से राजधानी तक सुर्खियों में है।
बता दें कि इस भ्रष्ट अभियंता ने कटिया लगाकर चोरी से नलकूप चलाते हुए चार लोगों को भाऊपुर गांव में पकड़ा था और पूरे घटनाक्रम की वीडियो ग्राफी करवाकर, उसकी सीडी बनाने के बाद सभी बिजली चोरो के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए प्रार्थना पत्र भी लिखकर लिफाफे में भरकर सील कर दिया था। फिर बिजली चोरो से सांठगांठ कर ट्रांसफार्मर सहित सारा सामान वापस कर दिया। जिसकी जानकारी दैनिक भास्कर के संवाददाता को हो गई। जिसकी खबर भास्कर में प्रमुखता से छपी तो बिजली विभाग के आलाधिकारी अपने भ्रष्ट अवर अभियंता को बचाने में जुट गए। पहले विभाग के आलाधिकारियों ने जांच की बात कहकर मामले को टरकाया। फिर जांच के नाम पर चार कनेक्शन मीडिया को दिखाए और कहा गया कि जेई ने उक्त लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है जो बिजली चोरी करते पाए गए थे।
जबकि अवर अभियंता कल्लू राम यादव ने जिन बिजली चोरो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र लिखा था उसमें कटिया लगाकर नलकूप चलाते हुए बाबू पांडेय, कुंज बिहारी द्विवेदी, बाबू दुबे व अम्बेलाल निवासी भाऊपुर हैं और खबर प्रकाशन के बाद जो कार्यवाही दिखाई जा रही है। उनमें एक ब्यक्ति के अलावा सभी दूसरे लोग हैं। साथ ही मीडिया को दिखाए गए दस्तावेजो में घरेलू कनेक्शन में भार कम होना दर्शाया गया है। जबकि अवर अभियंता ने अपनी टीम के साथ जो बिजली चोरी पकड़ी थी वह खेतों में लगे अवैध लगकूप थे न कि घरेलू कनेक्शन। खेतों से ट्रांसफार्मर सहित सारा सामान उतरवाकर गाड़ी में लादकर लाये गए मामले में अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई है। इस बारे में बिजली विभाग के जिम्मेदार आलाधिकारी जवाब नहीं दे पा रहे हैं सभी अपने अवर अभियंता कल्लूराम यादव की करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं।
हद तो तब हो गई जब एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार से फोन पर अधीक्षण अभियंता ने सवाल पूछने पर बदसलूकी कर दी। उन्होंने धमकी भरे लहजे में पत्रकार से कहा कि आपने मेरे ऑफिस का वीडियो चैनल में क्यूं दिखाया। मगर एक जिम्मेदार पोस्ट पर बैठकर शायद उन्हें यह भी नहीं पता कि यह उनका ब्यक्तिगत ऑफिस नहीं है यह आम जनता के लिए है और वह केवल वहां नौकरी कर रहे हैं जहां उनकी जवाबदेही है और वह सवालों से भाग नहीं सकते।
अब सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे भ्रष्ट अवर अभियंता पर कोई कार्रवाई हो पाएगी जबकि दर्जनों वीडियो होने के बाद अधिकारी मामले को पचाने में जुटे हैं। दूसरी तरफ बिजली विभाग की प्रादेशिक मशीनरी ट्वीटर पर दस दिन से इस प्रकरण की जांच करा रही है। खैर यह तो समय बताएगा कि इस मामले में क्या होगा। मगर यह तो निश्चित है कि सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा उनके ही अधिकारी खोखला साबित करने में जुटे हैं।