किसान जनजागरण के लिये गांव -घर कोर्ट ,कचहरी में पर्चा बाँट कर बता रहे किसान बिल की खामियां

Update: 2021-04-19 06:40 GMT

गाजियाबाद | संविधान में दिये गये अधिकार का स्वार्थपूर्ण प्रयोग करने पर सदन हो या स्वतंत्र संस्थायें आम जनता के विरोध का उसे सामना करना होगा | पिछले कुछ दिनों से सरकार के कई कानून बनाने व निर्णय लिये जाने का जनता ने विरोध किया | जाहिर है कि अब कानून बनाने से पहले जनता की राय भी सदन को बहस में शामिल करनी होगी | बीते एक साल से किसान बिल का पूरे भारत मे विरोध चल रह है | सरकार भी इस विरोध को देखते हुये अपने दम्भी कदम पीछे खींच ली है | किसानो को सरकार का यह बिल अपने ऊपर कारपोरेट मोहताज की हुकूमत भरा षणतंत्र लगता है |

प्रारम्भ मे ही भाजपा के गोरखपुर से पार्टी के जिला पदाधिकारी रहे प्रबल प्रताप शाही ने किसानो का समर्थन करते हुये पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर यह समझाने का प्रयास किया कि इस बिल से किसान हित नहीं होगा | बकौल प्रबल वैचारिक विरोध व दबाव तथा पार्टी मे बढ़ते कारपोरेटी तानाशाही को भांप कर उन्होंने किसान समर्थन मे सत्ताधारी भाजपा को छोड़ दिया और किसान आन्दोलन मे कूद पड़े | वह संयुक्त किसान मोर्चा के साथ जनजागरण में घर - घर जाकर किसानो को जगा रहे हैं | कानून मे क्या किसान हित मे नही है इस बात से आम किसान को अवगत करा रहे हैं | एक फोल्डर जिसका शीर्षक है 'कानून में काला क्या है, प्रधानमंत्री मोदी को बताओ'। घर - घर बांटाजा रहा है | किसान नेता अब इसे जन- जन का सवाल बनाने के लिये कड़ी धूप में पसीना बहा रहे हैं |


फोल्डर के माध्यम से भारत के किसान को क्या और कैसा नुकसान सहना पड़ेगा , किसानो का भविष्य क्या होगा इस पर बात की गई है| प्रबल बताते हैं कि किसावन विरुद्ध 3 काले कानूनों पर लोगों में स्पष्टीकरण व जागृति पैदा करने के लिए अभियान मोर्चे ने लोगों को किसान विचारों व सच्ची लडा़ई से अवगत कराया | प्रदेश के पश्चिमी भाग के अलीगढ़ , हापुड़ , प्रयागराज व अल्मोड़ा , गाजियाबाद , प्रतापगढ़, रामनगर व हल्द्वानी , सीतापुर को, विकासनगर व नानकमत्ता मे इसे कारवां चला । मोर्चे के नेताओं ने इस किसान आन्दोलन फोल्डर को जिला कचहरी व इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी बांटा | वितरण के दौरान वकीलों तथा आम लोगों ने इसका स्वागत किया तथा यह आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार किसानों के विरुद्ध इतनी गलतफहमी क्यों फैला रही है। फोल्डर संक्षेप मे यह बताने की कोशिश है कि कैसे ये 3 कानून किसान के आने से खेती की जमीन, कृषि बाजार, भण्डारण, खाने के बाजार पर देशी व विदेशी कम्पिनयों का नियंत्रण बढ़ा जाएगा और राशन व्यवस्था समाप्त होगी तथा जमाखोरी व काला बाजारी की छूट कम्पनियों को मिलेगी। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता आत्मजीत सिंह एवं प्रबल प्रताप शाही इस अभियान को तेजी के साथ प्रदेश के अन्य जिलों में भी लेकर जा रहे है| इसमें सभी किसान यूनियनें, वाम किसान संगठन, बहुजन संगठन तथा कई अन्य युवा भी बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं।

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