आचार्य प्रमोद कृष्णम का सीएम योगी से तीखा सवाल, क्यों मार डाला अबोध बालक प्रभात मिश्रा!

अगर प्रभात मिश्रा पर दोष सिद्ध नहीं होता है तो क्या आप प्रभात मिश्रा को वापस लाकर दोगे. किस हैसियत से आपकी पुलिस ने सरेआम फर्जी एनकाउन्टर करके मार दिया.

Update: 2020-07-14 18:03 GMT

लखनऊ. बीती 2 जुलाई की रात कानपुर (Kanpur) के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों (Policemen Massacre) की हत्या के बाद एक के बाद एक खुलासा हो रहा है. इस हत्याकांड के बाद विकास दुबे (Vikas Dubey) का करीबी कार्तिकेय उर्फ प्रभात मिश्रा (Prabhat Mishra) की बहन हिमांशी ने दावा किया है कि उसका भाई नाबालिग था. इस बात पर कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृषणम( Acharya Pramod Krishnam,) ने यूपी सरकार से कई गंभीर सवाल किये है. 

इस मामले को लेकर जब कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृषणम(Acharya Pramod Krishnam ) से बातचीत की तो उनका पारा सातवें आसमान पर था. उनसे बातचीत इसलिए की क्योंकि पिछले तीन दिन से उन्होंने सभी राष्ट्रिय चैनल पर उठाया है. उन्होंने कहा कि में विकास दुबे के हत्या या एनकाउंटर से कोई वास्ता नहीं रखता, दुष्ट व्यक्ति और अपराधी की कोई जाती धर्म नहीं होता है. जबकि उसके रिश्तेदार जरुर उस जाति और धर्म से होते है जिसमें वो पैदा होता है. तो क्या दोष है उन रिश्तेदारों का. 

आचार्य ने यूपी के सीएम योगी से सवाल करते हुए कहा है कि आपके पास प्रभात उर्फ कार्तिकेय के खिलाफ कोई अपराधिक मामला दर्ज है. प्रभात मिश्रा की उम्र मात्र 16 साल थी. उसकी बहिन से हाईस्कूल की मार्कशीट भी दिखाई है. अगर प्रभात मिश्रा पर दोष सिद्ध नहीं होता है तो क्या आप प्रभात मिश्रा को वापस लाकर दोगे. किस हैसियत से आपकी पुलिस ने सरेआम फर्जी एनकाउन्टर करके मार दिया. 

आचार्य ने गुस्से में पूंछा कि चार दिन के दुलहन बनी उस बेटी का क्या दोष है जिसे आपने बिना सोचे समझे जेल भेजा. फिर आपने उसे खुद ही जेल से रिहा करने के लिए कानून से उसे रिहा कराया क्या है ये सब . हो क्या रहा पूरे प्रदेश में ब्राह्मणों की हत्या का खेल खेला जा रहा है वहां तो आपने किसी की प्रोपटी नहीं तोड़ी. इंस्पेक्टर सुबोध के हत्यारों में से अपने किसी को नहीं मारा. क्यों?

आचार्य यहीं नहीं रुके बोले इस प्रदेश में सबसे निरीह और कमजोर ब्राह्मण नजर आ रहा है इसलिए आप जान बूझकर ब्राह्मणों का कत्लेआम करा रहे है. यह प्रदेश आपकी मन मर्जी से नहीं चलेगा यहाँ कानून का राज है. अगर यह पुलिसिया दमन करने में आपको आनंद आ रहा है तो आप क्यों रोये थे लोकसभा में फफक फफक कर. लेकिन ब्राह्मणों ने तो आपका विरोध नहीं किया. हां में खुलकर बात करूंगा ब्राह्मणों पर अत्याचार होने के खिलाफ खुलकर बोलूँगा और हर संभव मदद की बात करूंगा. 

उन्होंने कहा कि यदि नहीं है तो पिछले छह जून की घटना का बाराबंकी में अभी खुलासा भी नहीं हुआ था कि आज फिर चार लोंगों की लाश मिली है. प्रयागराज में जो परिवार काट डाला था उसके विरोध में तो अपने किसी को नहीं मारा. एटा के केस में आज कोई खुलासा नहीं हुआ. जबकि प्रदेश में यही पांच छह घटनाओं में मरने वाले लोग पच्चीस है. यही कानून का राज है. यही अपराध कम करने क तरीका है. आप किसी ब्राह्मण को सरेआम नहीं मार सकते. में फिर एक बार कहता हूँ कि प्रदेश में किसी ब्राह्मण के खिलाफ हो रही गलत गतिविधि का में खुलकर विरोढ करूंगा. 


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स्पेशल कवरेज न्यूज खास बातचीत में हिमांशी ने बताया कि प्रभात उर्फ कार्तिकेय की उम्र मात्र 16 साल थी. वहीं उसने हाईस्कूल की मार्कशीट भी दिखाई है, जिसमें उसकी जन्मतिथि 27 मई 2004 दर्ज है. प्रभात मिश्रा की बहन हिमांशी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने बिना गलती के मेरे भाई को मार डाला. उधर, मेरे पिता को भी झूठा फंसाया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी फैमली में किसी का क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. जबकि तीन बार तलाशी के बाद भी पुलिस को हमारे घर से कुछ नहीं मिला.

पुलिस के मुताबिक प्रभात मिश्रा विकरू गांव में पुलिस टीम पर गोलियां बरसाने में शामिल था. प्रभात को फरीदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसके बाद उसे कोर्ट पेश कर के यूपी एसटीएफ को ट्रांजिट रिमांड पर लिया था. यूपी एसटीएफ उसे रिमांड पर कानपुर ला रही थी. पनकी थाना क्षेत्र में गाड़ी ख़राब हो गई. इस बीच प्रभात ने यूपी एसटीएफ के एक दरोगा की पिस्टल छिनकर भागने लगा. जब पुलिस ने उसे रोका तो फायरिंग शुरू कर दी. जिसके बाद हुई जवाबी फायरिंग में प्रभात मिश्रा मारा गया. 


शूटआउट में शामिल था प्रभात मिश्रा

बता दें हमीरपुर एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे के राइट हैंड अमर दुबे के बाद प्रभात ही उसका सबसे करीबी था. फरीदाबाद पुलिस ने उसके पास से पुलिस से लूटी गई चार पिस्टल और 44 कारतूस भी बरामद की थी. उसने पुलिस को पूछताछ में बताया था कि वारदात के बाद विकास दुबे के साथ मर दुबे और वह पास के ही गांव शिवली में दो दिन तक रुके थे. इसके बाद वे ट्रक से फरीदाबाद पहुंचे थे. विकास दुबे का साम्राज्य एक एक कर धराशायी हो रहा है. अब उसके राइट और लेफ्ट हैंड कहे जाने वाले अमर दुबे और प्रभात मिश्रा को एसटीएफ ने मार गिराया था.

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