पहले टोंटी दिखा रहे थे अब हाथ की लकीरे दिखा रहे हैं भ्रमित अखिलेश : डा. चन्द्रमोहन

बीजेपी ने कहा कि अखिलेश यादव अपने कार्यकर्ताओं को दिलासा देने के लिए हाथ की लकीरों का सहारा ले रहे हैं

Update: 2020-03-17 07:52 GMT

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही भारतीय जनता पार्टी सरकार के अच्छे कार्यों से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बेहद हताशा में हैं। इनकी हताशा इस कदर बढ़ गई है कि ये अब लोगों को हाथ की लकीरें दिखाते फिर रहे हैं।

पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा चन्द्रमोहन ने कहा कि अखिलेश का यह कहना कि उनकी हाथ की लकीरें देखकर वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में 350 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की गई है, यह बेहद हास्यास्पद कथन है। यह साबित करता है कि यादव अपने कार्यकर्ताओं को दिलासा देने के लिए हाथ की लकीरों का सहारा ले रहे हैं। उन्हें इस बात का अभास नहीं है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किस कदर अपना पसीना बहाकर जनता की देखभाल की थी। इसी का नतीजा था कि भाजपा ने प्रदेश में तीन सौ से अधिक सीटें जीती थीं।

प्रदेश प्रवक्ता डा. चन्द्रमोहन ने कहा कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार के प्रति जनता की नाराजगी अभी तक बनी हुई है यही वजह है कि इस पार्टी के कार्यकर्ताओं को हमेशा जनता के बीच जाने में भय सताता रहता है। दूसरी ओर भाजपा सरकार के अच्छे कार्यों से जनता के बीच एक सकारात्मक माहौल बना है। इससे बेहद डरे अखिलेश अब हिंदू-मुसलमान के बीच दुराव पैदा कर केवल गंदी राजनीति पर उतर आए हैं। यादव का यह कहना कि रामपुर से सपा सांसद आजम खान को मुसलमान होने की वजह से भाजपा सरकार प्रताड़ित कर रही है, सपा की मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति का जीता जागता उदाहरण है।

डा. चन्द्रमोहन ने कहा कि हालांकि प्रदेश की सम्मानित जनता को यादव की समाज को बांटने वाली राजनीति की पूरी तरह से पहचान हो चुकी है। यही वजह है कि जनता ने यादव के नेतृत्व वाली सपा को 2014, 2017 व 2019 चुनाव दर चुनाव बुरी हार दी है। हार को भूलकर अखिलेश अब अपनी हाथ की लकीरों का जिक्र कर सपा कार्यकर्ताओं को प्रदेश में दोबारा सत्ता पाने का सब्जबाग दिखा रहे है, यह केवल उनका लड़कपन ही है। इसके बूते सत्ता में वापसी का केवल सपना ही देखा जा सकता है। असलियत में तो सपा को अगले विधानसभा चुनाव में और बुरी हार मिलने वाली है।

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