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यूपी उप चुनाव में कांग्रेस का इस सीट पर खुल सकता है खाता

पुरानी राजनीतिक फैमिली से वह बिलॉन्ग करने वाली आरती दीक्षित के पिता गोपीनाथ दीक्षित बांगरमऊ से 5 बार विधायक रह चुके हैं.

Update: 2020-11-08 11:16 GMT

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 7 सीटों पर हुए उपचुनाव के एग्जिट पोल में भाजपा को 1 से 2 सीटों का नुकसान बताया जा रहा है. एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा को 5 से 6 सीटें मिल सकती हैं. चुनाव 7 सीटों पर हुए हैं. यदि भाजपा को 6 सीटों पर जीत मिलती है तब तो उसे किसी तरह का नुकसान नहीं है, क्योंकि जिन 7 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं उनमें से 6 सीटें भाजपा के पास हैं.

जौनपुर की मल्हनी सीट समाजवादी पार्टी ने जीती थी. तो आखिर सवाल उठता है कि दूसरी वह कौन सी सीट है जहां भारतीय जनता पार्टी को झटका लग सकता है और वह उसे खो सकती है. जानकारों के मुताबिक, उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर पेच फंसा हुआ है और भारतीय जनता पार्टी के लिए यहां से बुरी खबर आ सकती है.

स्थानीय लोगों और जानकारों की मानें तो उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर चौंकाने वाले नतीजे सामने आ सकते हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी से इस उपचुनाव में कांग्रेस ये सीट छिन सकती है. बांगरमऊ में कांग्रेस की कैंडिडेट आरती बाजपेई के पक्ष में कई समीकरण उपचुनाव के दौरान दिखाई दिए हैं. न सिर्फ ब्राह्मणों की गोलबंदी इनके पक्ष में दिखी है बल्कि समाजवादी पार्टी का भितरघात भी आरती बाजपेई को फायदा पहुंचा रहा है.

कौन हैं आरती बाजपेई

आरती बाजपेई का बांगरमऊ से पुराना नाता रहा है. पुरानी राजनीतिक फैमिली से वह बिलॉन्ग करती हैं. उनके पिता गोपीनाथ दीक्षित बांगरमऊ से 5 बार विधायक रह चुके हैं. उनकी रिश्तेदारी दिल्ली की पूर्व सीएम स्वर्गीय शीला दीक्षित से भी है. गोपीनाथ दीक्षित यूपी के गृह मंत्री रह चुके हैं. राजनीतिक पंडितों के कयास के मुताबिक, भाजपा से ब्राह्मण वोटरों की नाराजगी यदि मतदान में भी दिखी तो इसका असर सीधे-सीधे उपचुनाव में आरती बाजपेई को फायदा पहुंचाएगा. इसके अलावा चर्चा यह भी है कि समाजवादी पार्टी से दोबारा टिकट न मिलने की नाराजगी के चलते पूर्व विधायक की पूरी टीम आरती बाजपेई के ही पक्ष में गोलबंद है.

जौनपुर की मल्हनी सीट

उपचुनाव होने के बावजूद सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के खाते में यह सीट जाती हुई नहीं दिखाई दे रही है. हालांकि, इस सीट पर यदि भाजपा को जीत नहीं भी मिलती है तो भी उसे कोई नुकसान नहीं कहा जाएगा. यह सीट भाजपा के खाते में थी भी नहीं. 2017 में यहां से सपा के पारसनाथ यादव विधायक बने थे. इस उपचुनाव में उनके लड़के लकी यादव खड़े हैं. हालांकि, उप चुनाव में सत्ताधारी दल का पलड़ा भारी रहता है लेकिन मल्हनी का समीकरण भाजपा को जीत से दूर रख सकता है. भाजपा के रास्ते में सबसे बड़े रोड़े बाहुबली धनंजय सिंह पिछले कई सालों से बने हुए हैं. धनंजय सिंह इस सीट पर हर चुनाव में 50 हजार वोट लेते रहे हैं. या तो यह सीट उनके खाते में गई है या वे दूसरे नंबर पर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर जब भी चुनाव लड़ी उसे तीसरी पोजीशन से संतोष करना पड़ा. ऐसे में सीट पर कोई बड़ा उलटफेर होगा और यह सीट भाजपा जीत जाएगी, ऐसा दिखाई नहीं देता. भाजपा से चुनाव लड़ रहे मनोज सिंह इतने मजबूत कैंडिडेट नहीं माने जा रहे हैं.

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