अनुदेशकों के मामले मे टकरा रही आपस मे डबल इंजन सरकार, न्यायालय में योगी सरकार कर रही मोदी सरकार का विरोध!

Update: 2022-05-21 07:25 GMT

उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विधालय में कार्यरत अनुदेशक का मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुर्खियां बना हुआ है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और न्यायाधीश जे जे मुनिर की बेंच कर रही है। 

अनुदेशक उच्च प्राथमिक विधालय में कक्षा 6 से लेकर कक्षा 8 के बच्चों को कला , गृह विज्ञान , कंप्यूटर , कृषि विज्ञान , गणित , हिन्दी के सभी विषय पढ़ाता है। लेकिन दुर्भाग्य है उसी स्कूल मे कार्यरत चपरासी से भी काम वेतन पाता है। एसा नहीं है कि अनुदेशक की आज नियुक्ति हुई है और आज ही उसके वेतन की चर्चा शुरू हो गई। उसकी नियुक्ति तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने तबके न्यूनतम वेतनमान यानी 7000 हजार रुपये के मानदेय पर अंशकालिक यानि एक विषय विशेषज्ञ के तौर पर की थी। 

समय बदला धीरे धीरे जूनियर हाईस्कूल में इन दस वर्षों में पहले से भर्ती अध्यापक और हेड मास्टर रिटायर होते चले गए। अब ज्यादातर स्कूलों में अनुदेशक ही काम कर रहे है। लेकिन सरकार आज भी यानी अप्रैल माह के वेतन 7000 ही दे रही है जबकि यूपी सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्ववर्ती सरकार में 2000 हजार वेतन बढ़ाने की बात कर चुके है। कैबिनेट में भी 26 अप्रैल को ये बिल पास हो गया लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में बैठे अलाधिकारी वेतन पास करने में अब भी देरी कर रहे है। जबकि सीएम योगी का आदेश ही कि किसी भी आदेश या पेपर को किसी भी टेबिल पर तीन दिन से ज्यादा नहीं रोका जाए। 

यहाँ मामला कुछ अलग है। अनुदेशक जूनियर कक्षा के छात्रों को बढ़िया शिक्षा प्रदान करता है। लेकिन सीएम और अनुदेशक के बीच में बैठे अधिकारी सरकार को मिस गाइड करने का काम करते है। उसी के चलते इनका भला नहीं हो पा रहा है। अब चूंकि सरकार को सोचना चाहिए कि जो लोग सरकार की इज्जत बचाते है उन्हे ही वेतन देने में आनाकानी क्यों करती है। 

अब इनकी अपील 20 मई 2020 से इलाहाबाद और लखनऊ हाईकोर्ट में दाखिल है। जिसकी सुनवाई भी बड़ी सुस्त हो रही थी। इस अनुदेशक को लेकर स्पेशल कवरेज न्यूज ने मुहिम चलाई तब जाकर 15 नबम्बर को पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बुलाकर मुलाकात की। उसके बाद सीएम योगी ने विधानसभा में 2000 हजार रुपये मानदेय बढ़ाने की बात की जबकि सीएम योगी पहले 17000 हजार देने का वादा भी कर चुके है। अब स्पेशल कवरेज ने इस मुहिम अनुदेशक को न्याय दिलाने के लिए दिल्ली से सुप्रीम कोर्ट से वकील एपी सिंह को इस केस मे शामिल कराया। 

उस दिन 12 मई के बाद इस केस की हियरिंग डे टू डे हो रही है । 12 मई से 20 मई के बीच अब तक चार बार सुनवाई हो चुकी। न्यायाधीश महोदय राज्य सरकार और अनुदेशक के पक्ष को भी सुन चुके है लेकिन केंद्र सरकार के वकील अभी वेतन की डिटेल मुहैया नहीं कर पा रहे है। हालांकि चीफ जस्टिस ने इस बार नाराजगी जताते हुए मंगलवार को सुनवाई फिर रखी है। अब देखना यह होगा कि अनुदेशक को ये डबल इंजन की सरकार 17000 हजार वेतन देगी कि नहीं। 

कोर्ट से वेतन का आदेश पहले हो चुका है अब केंद्र सरकार के खिलाफ बीजेपी की यूपी सरकार गई है। अब इस मामले मे राज्य की डबल इंजन सरकार यानी मोदी सरकार और योगी सरकार आपस में टकरा रही है। क्या इसीलिए बनाई गई है डबल इंजन सरकार । 

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