मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा

Update: 2021-05-26 08:23 GMT

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने आखिर दबाब में आकर इस्तीफा दे दिया है. फिलहाल मिली जानकारी के मुताबिक मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने अपना इस्तीफा देकर दोपहर दो बजे प्रेस वार्ता की बात कही है. 

यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं. उनकी नियुक्ति EWS कोटे से हुई है. यानी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में उन्हें माना गया है. उनकी नियुक्ति को लेकर विपक्षी पार्टियों ने निशाना साधा है. आम आदमी पार्टी ने इसे नौकरी के लिए लाठी खा रहे युवाओं का अपमान बताया है.

क्या है पूरा मामला

डॉक्टर सतीश द्विवेदी, खुद भी PHD हैं, माने उनके पास डॉक्टरेट की डिग्री है. वे सिद्धार्थनगर जिले की इटवा विधानसभा सीट से विधायक हैं. राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री हैं. उनके भाई डॉक्टर अरुण द्विवेदी भी PHD डिग्री धारक हैं. अब इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि उनका चयन सिद्धार्थनगर जिले के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर हुआ है.

अरुण द्विवेदी का चयन EWS (Economically Weaker Section) कोटे के तहत हुआ है. यानी उनके पास सर्टिफिकेट है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं. ये सर्टिफिकेट इलाके की तहसील से बनता है और इसके लिए सरकारी जांच भी होती है. यदि किसी की सालाना आमदनी 8 लाख रुपये से कम है, तब वह इस श्रेणी का सर्टिफिकेट हासिल कर सकता है.

सरकारी नौकरी में EWS वालों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. सवर्ण गरीबों को आरक्षण इसी के तहत मिलता है.

मंत्री सतीश द्विवेदी का इस पर क्या कहना है

सोनभद्र में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सतीश द्विवेदी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत उनके भाई का चयन किया है और इस प्रक्रिया में उनका कहीं कोई हस्तक्षेप नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य है कि वह हमारा भाई है.

कुलपति ने क्या कहा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने बताया कि मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2 पद खाली थे. इनमें से एक पद ओबीसी कैटेगिरी में था और दूसरा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के लिए था. इसके लिए करीब 150 लोगों ने आवेदन किया था. मेरिट के आधार पर 10 लोगों को इंटरव्यू के लिए चुना गया था. इन 10 में अरुण कुमार पुत्र अयोध्या प्रसाद भी शामिल थे.

इंटरव्यू में अरुण दूसरे नंबर पर थे, लेकिन इंटरव्यू, एकेडमिक और अन्य अंकों को जोड़ने पर वह पहले स्थान पर आए गए. इसी वजह से अरुण को पात्र माना गया. कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा कि अरुण के पास शैक्षणिक प्रमाणपत्र थे, उनके इंटरव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है. EWS प्रमाणपत्र प्रशासन जारी करता है. मुझे भी नहीं पता था कि वह मंत्री के भाई हैं और मेरे पास इस संबंध में कोई सिफारिश नहीं आई.

सोशल मीडिया में क्या चल रहा है

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इस मामले को लेकर सतीश द्विवेदी पर निशाना साधा है.

आदित्यनाथ जी के मंत्री सतीश द्विवेदी जी का कारनामा।

1621 शिक्षक चुनाव ड्यूटी में मर गये मंत्री जी को नही मालूम उन्होंने सिर्फ़ 3 बताया।

लेकिन अपने सगे भाई को EWS (ग़रीबी के कोटे ) में नौकरी कैसे देनी है ये मंत्री जी को मालूम है।

नौकरी के लिये लाठी खा रहे UP के युवाओं का घोर अपमान

आजाद समाज पार्टी के प्रवक्ता सूरज कुमार ने भी सतीश द्विवेदी के भाई की नियुक्ति को लेकर ट्वीट किया है.

आरक्षण चोर मंत्री और उनकी मेरिट।

यह UP बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी हैं जो 'सिद्धार्थ विश्वविद्यालय' में अपने भाई को चोरी से EWS कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर बनवा दिए हैं। पढ़ लिख लो द्विवेदी, कब तक दूसरे का हक़ खाओगे?

समाजवादी युवजन सभा के अध्यक्ष अरविंद गिरी ने सतीश द्विवेदी और सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधती हुई पोस्ट ट्वीट की है.

यू॰पी०सरकार के मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी का सिद्धार्थ विश्वविध्यालय में EWS कोटे के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन हुआ हैं।

यह नियुक्ति मंत्री सतीश द्विवेदी की नैतिकता और यू०पी०के मंत्री और मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार में सम्मलित होने की भी पोल खोलती हैं।

NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने भी ट्वीट के जरिए बेसिक शिक्षा मंत्री को घेरा है.

जहाँ एक ओर यूपी के बेरोजगार हर रोज शिक्षक भर्ती से लेकर सालों से अटकी हुई परीक्षाओं व नियुक्तियों के लिए अभियान चला चलाकर थक गए पर रोजगार न मिला।

वही यूपी के शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी जी अपने भाई को आपदा में अवसर खोजकर असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया

क्या कमाल है सिस्टम!

अरुण द्विवेदी के चयन को लेकर अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र भेजा है जिसमें कहा है कि अरुण द्विवेदी, इससे पहले बनस्थली विद्यापीठ राजस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर थे, ऐसे में इनके द्वारा EWS सर्टिफिकेट हासिल करना जांच का विषय लगता है.

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