नारी शक्ति वंदन अधिनियम और उत्तर प्रदेश में नारी शक्ति की स्वरूप महिला शिक्षामित्र और अनुदेशक

Nari Shakti Vandan Act and form of women power in Uttar Pradesh, women teachers and instructors

Update: 2023-09-20 05:35 GMT

उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों में बीते लगभग 20-25 वर्ष से सैकड़ों नहीं हजारों की संख्या में महिला शिक्षामित्र का कर रही हैं, महिला अनुदेशक भी लगभग 10 वर्षों से कार्यरत हैं।

सन् 2000 के आस-पास उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे थे तब तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बड़ी संख्या में हर ग्राम पंचायत में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नौजवानों को शिक्षामित्र के पद पर नियुक्त किया। इससे न केवल उत्तर प्रदेश की चरमराती शिक्षा व्यवस्था में जान फूंकी गई, बल्कि प्रदेश को मानो एक नई दिशा-सी मिल गई। सन् 2013 के आस-पास अनुदेशकों की नियुक्ति भी प्रदेश के जूनियर स्कूलों के लिए वरदान से कम न रही।

पर सब कुछ अच्छा-अच्छा हो जाए ये नियति को शायद मंजूर नहीं। अनुदेशकों और शिक्षामित्रों की नियुक्ति से खुशियां तो आईं पर कुछ ही समय बाद इन नौजवानों के भविष्य पर काला बादल मंडराने लगा। इन नौजवानों को कब से Uncle-Aunty कहकर पुकारा जाने लगा शायद इन्हें भी अंदाजा न हुआ। जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता गया और आमदनी में कुछ खास इजाफा नहीं हुआ। जिन्हें समाज में सम्मान मिलना चाहिए था वे धीरे-धीरे मजाक का पात्र बनते गए। आज बगल से गुजरने वाला हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति पूछ ही लेता है, "क्या मैडम (या क्या भईया) सुना है आपकी नौकरी Permanent हो गई",

"आपका मानदेय सरकार ने बढ़ा दिया" इत्यादि।

चलिए इन बातों से थोड़ा दूर हटते हैं...

आपने हाल ही में महिला आरक्षण पर गरमाई देश की राजनीति के बारे में जरूर सुना होगा! मैंने भी जब इस मसले के बारे में सुना तो मन में कुछ सवाल आए...

क्या महिला आरक्षण पर हुंकार भरने वाली पार्टियों ने कभी

उत्तर प्रदेश की महिला शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के बारे में नहीं सोचा?

यदि ये राजनैतिक दल थोड़ी-सी भी महिलाओं की परवाह करते तो आज होनहार महिला शिक्षामित्र, अनुदेशक खून के आंसू न रो रही होतीं,

सैकड़ों आत्महत्याएं नहीं होतीं!

सवाल तो बहुत हैं पर जवाबदेह इससे भागते हैं...

सरकारों की गलत नीतियों और नकारेपन के कारण आज ये शिक्षित महिलाएं दुर्गति के कगार पर हैं। धिक्कार है ऐसे राजनैतिक दलों और नेताओं पर जो एक ओर महिला आरक्षण, महिला सम्मान की सिर्फ बातें करते हैं पर वहीं दूसरी ओर हजारों होनहार महिलाओं को बद-से-बदतर में लाकर छोड़ दिया है।

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